गुलाम कश्मीर पर पीएम के बयान से सुरक्षा विशेषज्ञ सहमत
प्रधानमंत्री के बयान को ऐतिहासिक बताते हुए इंस्टीट्यूट ऑफ कंफ्लिक्ट स्टडीज के अजय साहनी ने कहा कि पहली बार भारत दुनिया को कश्मीर समस्या पर स्पष्ट संदेश दिया है
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। गुलाम कश्मीर, यानी पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान को सुरक्षा विशेषज्ञ और सुरक्षा एजेंसियों के वरिष्ठ अधिकारी सही मानते हैं। उनके अनुसार, गुलाम कश्मीर पर भारत की अब तक की चुप्पी से दुनिया में गलत संदेश चला गया है कि समस्या सिर्फ भारतीय कश्मीर में है जबकि हकीकत इसके विपरीत है। पहली बार प्रधानमंत्री स्तर पर गुलाम कश्मीर पर दो टूक बात की गई है।
प्रधानमंत्री के बयान को ऐतिहासिक बताते हुए इंस्टीट्यूट ऑफ कंफ्लिक्ट स्टडीज के अजय साहनी ने कहा कि पहली बार भारत की ओर से शीर्ष नेतृत्व ने पाक और दुनिया को कश्मीर समस्या पर स्पष्ट संदेश दिया है। अब तक भारत केवल संयुक्त राष्ट्र बैठकों में इसे उठाता रहा था। पाकिस्तान के साथ टकराव से बचने की कोशिश में भारत का शीर्ष नेतृत्व ऐसी बयानबाजी से बचता रहा था। इस कारण दुनिया में यह धारणा बन गई थी कि समस्या केवल भारतीय कश्मीर की है, गुलाम कश्मीर की कोई समस्या है ही नहीं। लेकिन अब दुनिया का गुलाम कश्मीर में लोगों पर हो रही ज्यादती की ओर भी ध्यान जाएगा।
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कश्मीर मामले से जुड़ी सुरक्षा एजेंसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पाकिस्तान हमेशा अंतरराष्ट्रीय मंचों पर संयुक्त राष्ट्र संघ प्रस्ताव का हवाला देकर कश्मीर में जनमत संग्रह की मांग उठाता रहा है। लेकिन भारत की ओर से कभी पाकिस्तान को करारा जवाब नहीं दिया गया कि संयुक्त राष्ट्र संघ के इसी प्रस्ताव में पहले पाकिस्तान के कश्मीर से कब्जा हटाने की शर्त भी लगाई है। जब तक पाकिस्तान अपने कब्जे वाले कश्मीर से बाहर नहीं चला जाता है, तबतक जनमत संग्रह का कोई मतलब नहीं है। उन्होंने कहा कि कश्मीर मुद्दे पर भारत को बचाव की मुद्रा से बाहर निकलकर पाकिस्तान को बेनकाब करने की जरूरत थी और प्रधानमंत्री ने यही किया है।
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