लखनऊ में वकीलों के चैम्बर आवंटन पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आज
आरोप है कि पिछले दो वर्षों से करीब 2000 नए चैम्बर बन कर तैयार हैं, लेकिन वे वकीलों को आवंटित नहीं किए गए हैं।
माला दीक्षित, नई दिल्ली। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में वकीलों के चैम्बर आवंटन मामले पर सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को सुनवाई करेगा। लखनऊ के वकील रामकृष्ण मेहरोत्रा ने सुप्रीम कोर्ट में इस बाबत याचिका दाखिल की है। मेहरोत्रा ने एडवोकेट आन रिकार्ड विष्णु शंकर जैन के जरिये दाखिल की गई अपनी याचिका में मांग की है कि हाईकोर्ट की 10 मई 2017 की अधिसूचना रद की जाए।
इस अधिसूचना में चैम्बर के लाइसेंस शुल्क को तय करने का अधिकार हाईकोर्ट ने स्वयं अपने पास रखा है। इसके साथ ही याचिका में मांग है कि वकीलों को तुरंत चैम्बर आवंटित किए जाएं और लाइसेंस शुल्क केन्द्र सरकार को तय करने का हक दिया जाए।
वकील जैन का कहना है कि पिछले दो वर्षों से करीब 2000 नए चैम्बर बन कर तैयार हैं, लेकिन वे वकीलों को आवंटित नहीं किए गए हैं। यहां तक कि पुरानी हाईकोर्ट बिल्डिंग में जिन वकीलों को चैम्बर आवंटित थे, उनसे पुराने चैम्बर खाली करा लिए गए हैं, लेकिन अभी तक उन लोगों को भी नये चैम्बर आवंटित नहीं किए गए हैं।
याचिका में संविधान के अनुच्छेद 14,19, 225 और 229 के उल्लंघन का मामला उठाया गया है। कहा गया है कि हाईकोर्ट चैम्बर आवंटन के शुल्क के तौर पर 5,20000 रुपए मांग रहा है। इसके अलावा 25 हजार रुपए आवेदनपत्र के साथ जमा करा रहा है। जबकि हाईकोर्ट का यह क्षेत्राधिकार नहीं है। याचिका में कहा गया है कि हाईकोर्ट को मेनटेन करना केन्द्र और राज्य सरकार का दायित्व है। ऐसे में लाइसेंस शुल्क भी सरकार ही तय कर सकती है न कि हाईकोर्ट।
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