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    सुप्रीम कोर्ट से कांग्रेस को झटका, NOTA पर तत्काल रोक लगाने से इनकार

    By Tilak RajEdited By:
    Updated: Thu, 03 Aug 2017 12:55 PM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट ने नोटा को चुनौती दे रही कांग्रेस से पूछा कि चुनाव आयोग ने 2014 मे नोटीफिकेशन जारी किया था तब चुनौती क्यों नही दी।

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    सुप्रीम कोर्ट से कांग्रेस को झटका, NOTA पर तत्काल रोक लगाने से इनकार

    नई दिल्ली(जेएनएन)। गुजरात राज्यसभा चुनाव से पहले कांग्रेस को अब सुप्रीम कोर्ट से भी झटका लगा है।सुप्रीम कोर्ट ने अाज 'नोटा' पर तत्काल रोक लगाने से इनकार किया। कोर्ट ने गुजरात कांग्रेस की याचिका पर चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया। मामले की अगली सुनवाई 13 सितंबर को फिर होगी। इसके साथ ही कोर्ट ने नोटा को चुनौती दे रही कांग्रेस से पूछा कि चुनाव आयोग ने 2014 मे नोटीफिकेशन जारी किया था तब चुनौती क्यों नही दी।

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    वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने गुजरात कांग्रेस की ओर से जस्टिस दीपक मिश्रा की पीठ में अर्जेंट सुनवाई का आग्रह करते हुए कहा कि संविधान में 'नोटा' का कोई प्रावधान नहीं है। इसलिए रास चुनाव के मतपत्र में इस तरह का कोई विकल्प नहीं रखा जा सकता। गुजरात विधानसभा में कांग्रेस के मुख्य सचेतक शैलेष मनुभाई परमार ने अपनी याचिका में विधानसभा सचिव के 1 अगस्त के परिपत्र को रद करने की मांग की है। सचिव ने परिपत्र में कहा है कि रास चुनाव में 'नोटा' का विकल्प रहेगा।

    परमार का कहना है कि नोटा का विकल्प जनप्रतिनिधित्व कानून 1951 और चुनाव संचालन नियम 1961 का उल्लंघन है। कानून में आवश्यक संशोधन के बगैर इसे लागू करना अवैध, मनमाना व गलत इरादे वाला है। याचिका में चुनाव आयोग द्वारा नोटा का विकल्प लागू करने के 24 जनवरी 2014 व 12 नवंबर 2015 को जारी सर्कुलर रद्द करने का आग्रह किया है।

    यह है पेंच

    सुप्रीम कोर्ट ने 2013 में ईवीएम में 'नोटा' का बटन अनिवार्य किया था। इसे जनवरी 2014 से लागू कर दिया गया। रास चुनाव में वोटर (विधायक) को अपना मतपत्र पेटी में डालने से पहले पार्टी के अधिकृत एजेंट को दिखाना पड़ता है। यदि नोटा लागू रहा तो किसी दूसरे को वोट देने या नोटा का उपयोग करने पर विधायक को अयोग्य नहीं ठहराया जा सकेगा। हालांकि पार्टी उसे निकालने व निलंबित करने जैसी अनुशासनात्मक कार्रवाई कर सकेगी, लेकिन वह विधायक बना रहेगा तथा उसका वोट पार्टी लाइन तोड़ने पर भी अवैध नहीं माना जाएगा।

    भाजपा ने भी कहा, हटाओ

    कांग्रेस के रुख को देखते हुए भाजपा ने भी बुधवार को चुनाव आयोग को ज्ञापन देकर मांग की कि गुजरात के राज्यसभा चुनाव से नोटा का विकल्प हटा दिया जाए। ज्ञापन में कहा गया है कि चूंकि यह बहस का मुद्दा बन गया है, इसलिए इस पर आम सहमति जरूरी है। चूंकि रास चुनाव में कोई गोपनीयता नहीं रहती, इसलिए नोटा बहुत उपयोगी नहीं है।

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