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    सुप्रीम कोर्ट ने गंगा सफाई पर मांगा रोडमैप

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    Updated: Wed, 13 Aug 2014 09:58 PM (IST)

    गंगा को प्रदूषण मुक्त करने की रफ्तार से असंतुष्ट सुप्रीमकोर्ट ने सरकार से इसमें तेजी लाने को कहा है। बुधवार को कोर्ट ने गंगा सफाई पर सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि इस पर त्वरित कार्रवाई की जरूरत है जबकि सरकार उतनी तेजी नहीं दिखा रही जितनी दिखानी चाहिए। कोर्ट ने सरकार से इस पर कैफियत तलब करते हुए

    नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। गंगा को प्रदूषण मुक्त करने की रफ्तार से असंतुष्ट सुप्रीमकोर्ट ने सरकार से इसमें तेजी लाने को कहा है। बुधवार को कोर्ट ने गंगा सफाई पर सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि इस पर त्वरित कार्रवाई की जरूरत है जबकि सरकार उतनी तेजी नहीं दिखा रही जितनी दिखानी चाहिए। कोर्ट ने सरकार से इस पर कैफियत तलब करते हुए ताजा स्थिति रिपोर्ट मांगी। सॉलिसिटर जनरल रंजीत कुमार ने इसके लिए दो सप्ताह का समय ले लिया। मामले पर अगली सुनवाई तीन सितंबर को होगी।

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    केंद्रीय जल संसाधन व गंगा संरक्षण मंत्री उमा भारती ने कोर्ट की टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि ये टिप्पणियां पिछली सरकार की निष्क्रियता पर है। हमारी सरकार गंगा की सफाई को लेकर प्रतिबद्ध है और हम सही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।

    बुधवार को न्यायमूर्ति टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ का गंगा प्रदूषण पर सुनवाई के दौरान रुख सख्त था। सॉलिसिटर जनरल ने जब कोर्ट से गंगा सफाई की योजनाओं और तौर तरीकों पर हलफनामा दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय मांगा तो पीठ ने कहा कि पवित्र गंगा को साफ करना तो सरकार के घोषणापत्र में शामिल है। इसे पहली प्राथमिकता दी जानी चाहिए। रंजीत कुमार ने कहा कि यह सरकार की प्राथमिकता में है। सरकार बनने के बाद गंगा के लिए अलग मंत्रालय बना है। इसमें अधिकारी आदि स्थानांतरित हो रहे हैं। बहुत सा काम है इसलिए स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय दे दिया जाए।

    इन दलीलों पर पीठ ने कहा कि वह मामले की निगरानी नहीं करना चाहती लेकिन जानना चाहती है कि सरकार गंगा सफाई के लिए क्या कदम उठा रही है? सरकार उसे रोडमैप बताए।

    कुमार ने कहा कि सरकार इस बारे में पहले दो हलफनामें दाखिल कर चुकी है। आगे किए जा रहे काम का ब्योरा भी हलफनामा दाखिल करके दिया जाएगा लेकिन उन्हें कुछ मुद्दों पर सरकार से निर्देश लेने हैं। इस बीच याचिकाकर्ता एमसी मेहता ने बताया कि अत्यधिक प्रदूषित श्रेणी में आने वाली कई औद्योगिक इकाइयां गंगा में गंदगी डाल रही हैं। कोर्ट ने कहा कि इसे तो पहली प्राथमिकता दी जानी चाहिए। कोर्ट ने 2525 किलोमीटर लंबी गंगा को चरणबद्ध ढंग से साफ करने का सुझाव दिया। जैसे कि गंगोत्री से ऋषिकेष तक पहला, ऋषिकेष से इलाहाबाद तक दूसरा और इलाहाबाद से आगे तीसरे चरण हो।

    उत्तराखंड सरकार ने कोर्ट को बताया कि उसने गंगा को पर्यावरण के लिहाज से संवेदनशील घोषित किया है लेकिन तभी वकील विजय पंजवानी ने कहा कि इसके लिए जो प्रक्रिया और मानक हैं वे पूरे नहीं हो रहे। पंजवानी ने यह भी कहा कि सरकार सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनवाने पर सौ-दो सौ करोड़ खर्च कर रही है लेकिन कम कीमत के शौचालय और नालियां बनाने को प्राथमिकता नहीं दे रही है।

    यह महत्वपूर्ण मामला है। इसमें त्वरित कार्रवाई की जरूरत है लेकिन सरकार उतनी तेजी नहीं दिखा रही : सुप्रीमकोर्ट

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