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बैंकों का बकाया तो पीएनबी को ही चुकाना होगा, हम नहीं उठाएंगे घाटा: एसबीआइ

देश के सबसे बड़े बैंकिग घोटाले को लेकर भारतीय स्टेट बैंक ने स्पष्ट कर दिया है कि पीएनबी को बैंकों का पैसा चुकता करना ही होगा।

By Kishor JoshiEdited By: Published: Fri, 16 Feb 2018 06:37 PM (IST)Updated: Sat, 17 Feb 2018 06:55 AM (IST)
बैंकों का बकाया तो पीएनबी को ही चुकाना होगा, हम नहीं उठाएंगे घाटा: एसबीआइ

जयप्रकाश रंजन, कोच्चि। देश के सबसे बड़े बैंकिंग घोटाले को लेकर देश के सरकारी बैंकों के बीच भी तलवार खिंचती दिख रही है। भारतीय स्टेट बैंक ने स्पष्ट कर दिया है कि बैंक ने नीरव मोदी या उनकी किसी कंपनी को कर्ज नहीं दिया है, बल्कि उन्हें यह भुगतान पीएनबी के नाम पर किया गया है। इसलिए इस बकाया को अदा भी पीएनबी को ही करना होगा। पीएनबी के एलओयू के विरुद्ध एसबीआइ ने करीब 900 करोड़ रुपये का भुगतान किया है।

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घाटे को नहीं उठाएगा एसबीआई

पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) ने यह कहते हुए घोटाले की जिम्मेदारी दूसरे बैकों पर भी डालने की कोशिश की है कि विदेश स्थित उनकी शाखाओं ने भी गड़बड़ी की जानकारी नहीं दी। लेकिन एसबीआइ समेत पीएनबी एक एलओयू पर नीरव मोदी की कंपनी को धनराशि उपलब्ध कराने वाले अन्य सभी बैंकों का यही कहना है कि उन्होंने भुगतान पीएनबी की गारंटी पर किया है। इसलिए यह उसी की जिम्मेदारी बनती है। एसबीआइ के चेयरमैन रजनीश कुमार ने यहां बैंक के ग्लोबल एनआरआइ सेंटर के उद्घाटन के अवसर पर कहा कि उन्होंने रिजर्व बैंक से भी स्पष्ट कर दिया है कि वे इस घाटे को नहीं उठाएंगे।

कुमार से जब पूछा गया कि क्या नीरव मोदी की कंपनी या उसके सहयोगियों की कंपनियों को एलओयू जारी करने से जो घाटा हुआ है उसका असर उनके बैंक पर कितना पड़ेगा तो उनका जवाब था कि 'हमने इस प्रक्रिया में किसी कंपनी को फंड उपलब्ध नहीं कराया है बल्कि पीएनबी को कराया है। इसलिए हमारा कोई उत्तरदायित्व नहीं है।'

एसबीआइ ने पीएनबी के एलओयू पर किया 900 करोड़ का भुगतान

माना जाता है कि पीएनबी की दक्षिणी मुंबई स्थित शाखा से विदेश स्थित जिन बैंकों की शाखाओं को लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (एलओयू) जारी किये उनमें से कुछ एलओयू एसबीआई की शाखा को भी जारी किये गये थे। इसके आधार पर एसबीआइ ने 900 करोड़ रुपये का भुगतान किया है। वैसे सबसे ज्यादा रकम का भुगतान यूनियन बैंक ऑफ इ़ंडिया, इलाहाबाद बैंक और एक्सिस बैंक ने किये हैं। दैनिक जागरण ने यह खबर प्रकाशित की है कि आरबीआइ भी यह मानता है कि घाटे की पूरी भरपाई पीएनबी पर ही होनी चाहिए।

वैसे इस घटना को लेकर एसबीआइ भी सतर्क हुआ है। बैंक अपनी प्रक्रिया में कई तरह के बदलाव करने के विकल्पों पर विचार कर रहा है ताकि कुछ कर्मचारी पूरे सिस्टम की आंख में धूल न झोंक सके। चेयरमैन कुमार का कहना है कि जब आप पैसे के कारोबार में है तो जोखिम हमेशा रहेगा लेकिन हमारी कोशिश है कि जोखिम को रोकने के उपायों को लगातार बेहतर बनाया जाए। हमारा सिस्टम ऐसा है कि स्विफ्ट के रास्ते अगर विदेशों में भुगतान का आदेश दिया जाता है तो वह हमारे कोर बैंकिंग सिस्टम में भी परिलक्षित हो। पीएनबी में जो हुआ है वह सभी के लिए एक चेतावनी है। एसबीआइ इस बात का खास तौर पर ख्याल रखता है कि किसी संवेदनशील पद पर एक ही व्यक्ति को तीन वषरें से ज्यादा नहीं रखा जाए और इस दौरान उस व्यक्ति की पूरी निगरानी भी की जाती है। हम इस प्रक्रिया को और मजबूत बनाने पर विचार कर रहे हैं।


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