Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    वेतन में शामिल होंगे सभी भत्ते,कंपनी व कर्मचारी ज्यादा करेंगे पीएफ अंशदान

    By Sachin BajpaiEdited By:
    Updated: Sat, 14 Mar 2015 03:45 AM (IST)

    संगठित क्षेत्र के नियोक्ताओं और कर्मचारियों को कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) में ज्यादा अंशदान करना पड़ सकता है। पीएफ अंशदान की कटौती करने के लिए सरकार वेतन में सभी भत्तों को भी शामिल करने पर विचार कर रही है।

    नई दिल्ली । संगठित क्षेत्र के नियोक्ताओं और कर्मचारियों को कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) में ज्यादा अंशदान करना पड़ सकता है। पीएफ अंशदान की कटौती करने के लिए सरकार वेतन में सभी भत्तों को भी शामिल करने पर विचार कर रही है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    इस संबंध में तैयार विधेयक के प्रस्तावित मसौदे में वेतन की नई परिभाषा दी गई है। इसके अनुसार नियोक्ताओं और कर्मचारियों की ओर से किए जाने वाले अंशदान की गणना में मूल वेतन और भत्ते शामिल होंगे। वर्तमान में पीएफ देनदारी कर्मचारी की बुनियादी पगार पर बनती है, जिसमें मूल वेतन और केवल महंगाई भत्ता शामिल होता है। ईपीएफ अंशदान में कर्मचारी अपने मूल वेतन का 12 फीसद योगदान करते हैं। इतने ही हिस्से का योगदान नियोक्ता करते हैं।

    नियोक्ताओं के अंशदान का 3.67 फीसद ईपीएफ में जाता है। जबकि 8.33 फीसद कर्मचारी पेंशन स्कीम और 0.5 फीसद एंप्लॉयीज डिपॉजिट लिंक्ड इंश्योरेंस स्कीम (ईडीएलआइ) में जाता है। कर्मचारी भविष्य निधि विविध प्रावधान अधिनियम 1952 को संशोधित करने के लिए मसौदा बिल में वेतन का अर्थ कर्मचारी को नकद में मिलने वाले सभी भत्तों सहित वेतन या पारिश्रमिक से है।

    भारतीय मजदूर संघ के महासचिव व ईपीएफओ के एक ट्रस्टी विरजेश उपाध्याय ने कहा कि नियोक्ता अपनी पीएफ देनदारी कम करने के लिए कर्मचारियों के वेतन को कई भत्तों में बांट देते हैं। विधेयक में वेतन की प्रस्तावित परिभाषा से इस तरह की चीजों पर रोक लगेगी। श्रम मंत्रालय विधेयक को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में है। वह इस पर त्रिपक्षीय विचार-विमर्श कर चुका है। इसमें ट्रेड यूनियनों, नियोक्ता प्रतिनिधियों और सरकारी निकायों की राय ली जा चुकी है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इससे पहले ईपीएफओ ने वेतनों को समेकित करने के लिए नवंबर 2012 में अधिसूचना जारी की थी। लेकिन उद्योग के विरोध के बाद लगातार अधिसूचना को टाला जाता रहा।