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    भाजपा के लिए बड़ी मुसीबत बन सकते थे साबिर

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    Updated: Sun, 30 Mar 2014 02:07 PM (IST)

    भाजपा ने बिहार के मुस्लिम नेता साबिर अली से हाथ झटककर समय रहते बड़ी मुसीबत से पीछा छुड़ा लिया है। अन्यथा साबिर अली का अतीत और वर्तमान भाजपा के गले की हड्डी बन सकता था। देश की कुछ बड़ी आपराधिक घटनाओं में तो साबिर का नाम जुड़ ही चुका है, राज्यसभा का चुनाव लड़ते समय हलफनामे में गलत जानकारी देने एवं आय के घोषित स्त्रोतों से अधिक आमदनी के मामले भी भविष्य में साबिर के साथ-साथ भाजपा को परेशान कर सकते थे।

    मुंबई [ओमप्रकाश तिवारी]। भाजपा ने बिहार के मुस्लिम नेता साबिर अली से हाथ झटककर समय रहते बड़ी मुसीबत से पीछा छुड़ा लिया है। अन्यथा साबिर अली का अतीत और वर्तमान भाजपा के गले की हड्डी बन सकता था।

    देश की कुछ बड़ी आपराधिक घटनाओं में तो साबिर का नाम जुड़ ही चुका है, राज्यसभा का चुनाव लड़ते समय हलफनामे में गलत जानकारी देने एवं आय के घोषित स्त्रोतों से अधिक आमदनी के मामले भी भविष्य में साबिर के साथ-साथ भाजपा को परेशान कर सकते थे। कैसेट किंग के नाम से मशहूर रहे टी-सीरीज कंपनी के मालिक गुलशन कुमार की हत्या 12 अगस्त, 1997 में कर दी गई थी। इस हत्याकांड के आरोपियों में से एक साबिर अली भी रहे हैं। इस मामले में साबिर को करीब तीन साल जेल में गुजारने पड़े थे। इन पर हत्याकांड में शामिल रहे कुछ आरोपियों को विदेश भेजने में मदद करने एवं हत्या के लिए दी गई 25 लाख की सुपारी की कुछ राशि अपने पास रखने का आरोप था। हालांकि, पर्याप्त सुबूत न होने के कारण अप्रैल, 2002 में 16 अन्य आरोपियों के साथ साबिर अली को भी इस मामले में बरी कर दिया गया था।

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    बताया जाता है कि गुलशन कुमार हत्याकांड में नाम आने से पहले साबिर अली मुंबई के धारावी क्षेत्र में एक मामूली पीसीओ एवं ट्रैवेल एजेंसी चलाते थे। 2002 में हत्याकांड से बरी होने के बाद एवं 2008 में राज्यसभा का चुनाव लड़ने से पहले तक मुंबई एवं बिहार में साबिर अली की संपत्तियों का रिकॉर्ड करोड़ों तक पहुंच चुका था। इनमें से ज्यादातर संपत्तियों का ब्योरा साबिर ने 14 मार्च, 2008 को राज्यसभा के लिए नामांकन करते समय अपने हलफनामे में दिया है। आज के बाजार मूल्य के अनुसार इन संपत्तियों की कीमत 100 करोड़ से अधिक हो सकती है। इन संपत्तियों की कमाई का स्त्रोत क्या रहा है? यह सवाल भविष्य में न सिर्फ साबिर अली को परेशान कर सकता है, बल्कि उनके भाजपा में रहते उनके साथ-साथ पार्टी को भी कठघरे में खड़ा होना पड़ सकता था।

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