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    गुलाब की खेती से रोका पलायन, विदेशों में कर रहे निर्यात

    By Srishti VermaEdited By:
    Updated: Tue, 27 Jun 2017 09:41 AM (IST)

    ग्रामीणों ने सामूहिक खेती कर इस साल तीन हजार लीटर से अधिक गुलाब जल तैयार किया है, जिसे लोग हाथोंहाथ ले रहे हैं और इसके साथ ही इन ग्रामीणों क दुनिया भी ...और पढ़ें

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    गुलाब की खेती से रोका पलायन, विदेशों में कर रहे निर्यात

    चमोली (रणजीत रावत)। पलायन के चलते गांवों में घटती आबादी उत्तराखंड की एक बड़ी समस्या है, लेकिन चमोली जिले के पांच गांव के लोगों ने यह दिखा दिया कि वे न तो अपना घर-बार छोड़ेंगे और न ही निर्धनता के अभिशाप के आगे समर्पण करेंगे। ग्रामीणों ने अपने बुलंद इरादों को पूरा करने के लिए कंटीले गुलाबों का सहारा लिया। अब उनकी मेहनत की खुशबू विदेश तक जा पहुंची है। ग्रामीणों ने सामूहिक खेती कर इस साल तीन हजार लीटर से अधिक गुलाब जल तैयार किया है, जिसे लोग हाथोंहाथ ले रहे हैं और इसके साथ ही इन ग्रामीणों क दुनिया भी बदल रही है।

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    चमोली के सीमांत जोशीमठ ब्लॉक के पांच गांवों-सुनील, बड़गांव, मेरग, परसारी व पगनों में 150 काश्तकारों ने नौ हेक्टेयर क्षेत्र में गुलाब की खेती शुरू की है। उन्होंने यह काम खेतों में परंपरागत फसलों से अलग किया। चार साल पहले जब सुगंध पादप केंद्र की ओर से गुलाब लगाने का प्रस्ताव आया तो सभी किसान इसके लिए तैयार नहीं हुए। लेकिन धीरे-धीरे करीब डेढ़ सौ किसान आगे आ गए। इन किसानों ने अपने उन खेतों में गुलाब लगाना शुरू कर दिया जहां जंगली जानवर फसलों को बर्बाद कर देते थे।

    तीन साल में ही गुलाब की फसल लहलहाने लगी और खेत फूलों से महकने लगे। पादप केंद्र की मदद से गांवों में प्रोसेसिंग यूनिट आसवन संयंत्र लगाए गए और विशेषज्ञों की मदद से गुलाब जल तैयार किया गया। इसे बाटलिंग कर बाजार में बेचा गया। इस वर्ष पांच गांवों में 20 क्विंटल गुलाब की पैदावार हुई, जिससे तीन हजार लीटर से अधिक गुलाब जल तैयार हुआ। एक लीटर गुलाब जल की कीमत 200 रुपये है, जबकि गुलाब के तेल की कीमत छह से आठ लाख रुपये प्रति लीटर के बीच है।

    खास है यह गुलाब : यहां उगाई गई गुलाब की प्रजाति बल्गेरियन रोज है। यह घरों के आंगन में लगने वाले आम गुलाब से अलग है। इससे गुलाब जल के अलावा सुगंधित तेल भी बनाया जाता है। इसे पर्वतीय क्षेत्रों में ढलान वाली जगह और खेतों के किनारे लगाया जा सकता है। एक बार गुलाब की पौध लगाने के बाद 15 साल तक इससे फूल मिलते हैं। यहां पैदा होने वाले गुलाब के फूल हर्बल भी हैं, क्योंकि इनमें किसी प्रकार के केमिकल का प्रयोग नहीं होता।

    हो रहा ऑस्ट्रेलिया निर्यात : जोशीमठ के गांवों में उगाए जाने वाले गुलाब का जल व तेल ऑस्ट्रेलिया के लिए निर्यात किया जा रहा है। विदेशी पर्यटक गांवों में आकर गुलाब जल व तेल खरीद रहे हैं।

    पहले गुलाब की खेती घाटे का सौदा थी, लेकिन जब गुलाब जल व तेल का उत्पादन होने लगा तो इसका महत्व समझ में आया। इसकी फसल को जंगली जानवर भी नुकसान नहीं पहुंचाते।- आत्माराम घिल्डियाल, गुलाब की

    खेती करने वाले किसान ठंडा क्षेत्र होने के कारण जोशीमठ के आसपास बनाया जा रहा गुलाब का तेल बेहतर
    गुणवत्ता वाला है। उम्मीद है कि भविष्य में और लोग गुलाब की खेती अपनाएंगे।- डॉ. सुनील शाह, वैज्ञानिक, सुगंध पौधा उत्पादन केंद्र, देहरादून

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