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    चौधरी की ताल से 'कमल' पर बल

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    Updated: Sat, 01 Feb 2014 11:11 AM (IST)

    जिस मैदान से मोदी ने हुंकार भर कर भाजपा में दम भरा, उसी मैदान से ताल ठोक कर 'चौधरी' ने कमल दल वालों के माथे पर बल पैदा कर दिए। ऐसे में आगरा शहर सीट पर भाजपा और सपा के लिए समीकरणों के 'रिवीजन' की जरूरत महसूस होने लगी है। वहीं, बुलंद दरवाजे से दिल्ली की ललकार के लिए राष्ट्रीय लोकदल को म

    जागरण संवाददाता, आगरा। जिस मैदान से मोदी ने हुंकार भर कर भाजपा में दम भरा, उसी मैदान से ताल ठोक कर 'चौधरी' ने कमल दल वालों के माथे पर बल पैदा कर दिए। ऐसे में आगरा शहर सीट पर भाजपा और सपा के लिए समीकरणों के 'रिवीजन' की जरूरत महसूस होने लगी है। वहीं, बुलंद दरवाजे से दिल्ली की ललकार के लिए राष्ट्रीय लोकदल को मजबूत फौज भले ही नजर आ रही हो, लेकिन एक अदद 'सेनापति' जरूरी है।

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    फतेहपुर सीकरी लोकसभा सीट पर इस दफा पहले से रोचक मुकाबले के आसार बने हुए थे। बसपा से सांसद सीमा उपाध्याय दूसरी पारी के लिए मैदान में पूरे जोश से उतर चुकी हैं, तो सपा प्रत्याशी पक्षालिका सिंह के रूप में भदावर घराने के लिए यह चुनाव 'नाक' का सवाल है। ऐसे कड़े मुकाबले में भाजपा अपने पत्ते खोलने की हिम्मत अभी तक नहीं जुटा सकी है। मुजफ्फर नगर दंगों के बाद ध्रुवीकरण की उम्मीदों के साथ भाजपा की नजरें खास तौर पर जाट वोट पर टिकी हुई हैं।

    करीब पौने दो लाख ब्राह्मण वोट पर मजबूत दावेदार बसपा के दिल में है और दलित वोट बोनस में। इतने ही ठाकुर वोट पर सपा के साथ भाजपा की नजरें हैं। ऐसे में करीब डेढ़ लाख जाट वोट बैंक निर्णायक की भूमिका में है। अब तक कमल खेमे का विश्वास इसी पर टिका था। ऐसे में मृतप्राय समझी जा रही रालोद की रैली में जिस तरह अपार भीड़ उमड़ी, उसने सभी प्रतिद्वंद्वी दलों को परेशान जरूर कर दिया है। खास तौर पर भाजपा, क्योंकि अब तक जाट समाज के झंडाबरदार समडो जाने वाले दिग्गज नेता भाजपा के पाले में हैं। इसके बावजूद सीकरी लोकसभा के जाटों को कोठी मीना बाजार में पड़ा अप्रत्याशित 'फुट फॉल' नेताओं के जादू को हल्का करता नजर आ रहा है।

    लंबे समय से रालोद के लिए जो भूमि बंजर समान हो चुकी थी, वहां किसान नेता के परिवार के लिए उम्मीद की कोपलें फिर फूटी हैं। इस सबके बावजूद रालोद के लिए हालात संतोषजनक नहीं कहे जा सकते। वजह ये है कि चौ. अजित सिंह की फौज तो तैयार है, लेकिन पार्टी के पास फिलहाल ऐसा कोई स्थानीय चेहरा नहीं है, जिसे सपा, बसपा और भाजपा के किसी दिग्गज के सामने इतना वजन मिल सके।

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    सीकरी की सीट अभी कांग्रेस-रालोद गठबंधन की उलझन में फंसी है। मंडल में रालोद के गठबंधन की हाथरस और मथुरा सीट है। अब माना जा रहा है कि रालोद सीकरी सीट पर भी दावेदारी कर सकती है। दावेदारी का दम गुरुवार की रैली में दिखाया जा चुका है।

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