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    राष्ट्रीय कृषि मंडी से होगा क्रांतिकारी बदलाव : पीएम

    By Gunateet OjhaEdited By:
    Updated: Thu, 14 Apr 2016 08:49 PM (IST)

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि राष्ट्रीय कृषि मंडी की पहल देश की कृषि अर्थव्यवस्था में क्रांतिकारी बदलाव साबित होगी। ...और पढ़ें

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    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि राष्ट्रीय कृषि मंडी की पहल देश की कृषि अर्थव्यवस्था में क्रांतिकारी बदलाव साबित होगी। 'ई-नैम' पोर्टल लांच करने के बाद मोदी ने कहा कि किसान पहली उपज को अपनी शर्तो पर बेचेगा। मंडी की इस व्यवस्था के कारण पारदर्शिता आएगी, जिससे किसानों को भरपूर लाभ होगा। प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा 'खेती को टुकड़ों में नहीं देखा जाना चाहिए।'

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    बिहार व केरल का नाम लिए बगैर प्रधानमंत्री मोदी ने उन राज्यों की कड़ी आलोचना की, जहां मंडी कानून नहीं है। चुटकी लेने के अंदाज में मोदी ने कहा कि जहां मंडी कानून ही नहीं है, वहां के किसानों के लिए वहां के नीति निर्धारक क्या कर रहे हैं। उन राज्यों के किसानों का कितना शोषण हो रहा है? उन्होंने ऐसे राज्यों से मंडी कानून बनाने का भी आग्रह किया, ताकि किसानों का भला हो सके। मंडी कानून वाले राज्यों से भी मौजूदा कानून में संशोधन की जरूरत बताई।

    उन्होंने कहा कि एक राज्य से दूसरे राज्य में कृषि उत्पाद की आवाजाही पर लगने वाले प्रतिबंध को किसान व उपभोक्ता विरोधी बताया। कृषि क्षेत्र के ताजा आंकड़ों में सुधार न होने पर प्रधानमंत्री ने चिंता जताई। 'ई-नैम पोर्टल' पूरी प्रणाली को मोदी ने सरल व सहज भाषा में समझाया भी। खेती में विज्ञान व प्रौद्योगिकी के उपयोग पर बल देते हुए प्रधानमंत्री ने कई गलत परंपराओं पर चुटकी भी ली। सिंचाई में पानी की बर्बादी, मिट्टी की जांच न कराने और फसल कटाई के बाद पराली जलाने जैसी आदतों की आलोचना की।

    प्रधानमंत्री ने दलहन आयात रोकने के लिए किसानों को इसकी खेती पर जोर देने की भी अपील की। उन्होंने कहा कि खाड़ी के देश हमारे किसानों के लिए बड़े बाजार के रूप में तैयार बैठे हैं। हमारे किसान वैश्विक बाजार की जिंसों की जरूरतों को पूरा कर सकते हैं। कृषि प्रसंस्करण उद्योग क्षेत्र में सौ फीसद एफडीआई के फैसले का हवाला देते हुए मोदी ने कहा कि इससे हमारे उत्पादों की अधिक कीमत मिलेगी। यह फैसला किसानों की मदद के लिए लिया गया है, जिससे देश का किसान सशक्त होगा।

    इससे पूर्व कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह और संचार व सूचना प्रौद्योगिकी रविशंकर प्रसाद सिंह ने भी ई-मंडी के बारे में विस्तार से बताते हुए किसानों के लाभ गिनाए। सिंह ने बताया कि राष्ट्रीय कृषि बाजार की इस पहल से देश के जिंस कारोबार वाली मंडियों में एकल लाइसेंस प्रणाली लागू हो जाएगी। इससे जहां किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिलने लगेगा वहीं उपभोक्ताओं से भी कृषि उत्पादों की मनमानी कीमत नहीं वसूली जा सकती है। राष्ट्रीय स्तर पर एकल लाइसेंस प्रणाली और शुल्क में एकरूपता होने से अंतरराज्यीय कारोबार सहज हो जाएगा।

    आठ राज्यों की 21 मंडियां बृहस्पतिवार से राष्ट्रीय कृषि मंडी के नेटवर्क का हिस्सा हो गईं। 25 सितंबर 2016 को देश की दो सौ और मंडियां इस नेटवर्क में शामिल हो जाएंगी। राष्ट्रीय कृषि बाजार के गठन के लिए वर्ष 2018 तक देश की कल 585 कृषि उत्पाद मंडियों को इसमें शामिल कर लिया जाएगा। फिलहाल जिन मंडियों को बृहस्पतिवार को इसका हिस्सा बनाया गया है, उन राज्यों की सभी मंडियों के लिए एक समान कानून होगा। इससे राज्य के भीतर की सभी मंडियों में एकल लाइसेंस की व्यवस्था होगा। अब अलग-अलग मंडियों के लिए अलग-अलग लाइसेंस की जरूरत नहीं होगी।

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