भूकंप त्रासदी: अंगूठी व गले की चेन बेचकर लौटे वतन
नेपाल में आए जलजले में जौली गांव के एक दर्जन से अधिक लोग वहां फंस गए थे। उनके पास घर लौटने भर के लिए पैसे नहीं थे। आखिरकार जब उन्होंने अंगूठी और गले की चेन बेची तो उनके वतन लौटने की बात बन पाई। नौ लोग तो वहां से लौट
मुजफ्फरनगर [जासं]। नेपाल में आए जलजले में जौली गांव के एक दर्जन से अधिक लोग वहां फंस गए थे। उनके पास घर लौटने भर के लिए पैसे नहीं थे। आखिरकार जब उन्होंने अंगूठी और गले की चेन बेची तो उनके वतन लौटने की बात बन पाई। नौ लोग तो वहां से लौट आए, लेकिन अभी भी पांच लोगों का इंतजार है। घर लौटे लोगों ने त्रासदी का हाल बयां किया।
भोपा थाना क्षेत्र अन्तर्गत गांव जौली के दर्जन भर से अधिक लोग नेपाल में काठमांडू समेत अनेक शहरों में रहकर कपड़ा बेचने का कारोबार करते हैं। भूकंप से आई भयंकर तबाही के बाद से इनके परिजनों की सांसे अटकी हुई थीं। बुधवार की दोपहर सफीयूउल हसनैन उर्फ गुड्डू, सोजिब अब्बास, मोहम्मद हैदर, शहजाद अली, आरजू, सैफ, कासिफ, बहादुर व गुलशन समेत नौ लोग जौली पहुंचे तो उनके परिजनों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा।
सफीयूउल हसनैन उर्फ गुड्डू ने बताया कि वे अपने साथियों के साथ काठमांडू के होटल सनराइज में रहकर कपड़ा बेचने का कारोबार करते थे। शनिवार दोपहर वह खाना खाने के लिए होटल से बाहर निकले तो अचानक जमीन हिलती महसूस हुई और जोर के धमाके की आवाज आई। पीछे मुड़कर देखा कि जिस होटल वे ठहरे थे वह जमींदोज हो गया।
चारों ओर चींख पुकार मच गई। ठीक दस मिनट बाद दूसरा झटका आया। इसके बाद सब एक पार्क में एकत्रित हो गए और दो दिन तक भूखे प्यासे तड़पते रहे। इसके बाद सभी लोग एयरपोर्ट पहुंचे, लेकिन वहां से आने वालों की कतार लंबी लगी थी। वहां पर जिले के 40 से अधिक लोगों ने मिलकर 60 हजार रुपये के किराये पर एक प्राइवेट बस की। उससे सनौली बार्डर पहुंचे। वहां से प्रदेश सरकार की मदद से गोरखपुर और वहां से ट्रेन से वाया मुरादाबाद अपने घर आ गए।