विधानसभा चुनाव 2017: एक परिणाम, कई असर; राज्यसभा की बदल जाएगी तस्वीर
पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों के परिणाम से न केवल राज्यों की तस्वीर बदलेगी, बल्कि राज्सभा की सूरत बदली हुई नजर आएगी।
नई दिल्ली(जेएनएन)। विधानसभा चुनाव 2017 के लिए पांच राज्यों में चुनावी समर की शुरुआत हो चुकी है। देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश के साथ पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में चुनाव परिणामों का असर न केवल उन राज्यों पर होगा, बल्कि राष्ट्रीय फलक पर भी इसका असर होगा। 11 मार्च की मतगणना का असर 2018 में दिखाई देगा जब राज्यसभा की तस्वीर बदली हुई नजर आएगी। इसके अलावा जुलाई में होने वाला राष्ट्रपति चुनाव पर भी असर रहेगा। आइए आपको सिलसिलेवार बताने की कोशिश करते हैं कि किस तरह से राज्यों के चुनाव परिणामों से राज्ससभा राष्ट्रपति चुनाव और उपराष्ट्रपति चुनाव प्रभावित होंगे।
2018 में राज्यसभा की सूरत
मौजूदा समय में राज्यसभी में एनडीए के 73 सांसद हैं, जबकि यूपीए के पाले में 71 सांसद हैं। संख्या बल के हिसाब से यूपीए से एनडीए आगे है,लेकिन बहुमत के आंकड़े(123) से एनडीए अभी भी बहुत पीछे है। संख्या बल की कमी से सत्तासीन एनडीए को राज्यसभा से कई विधेयकों को पारित कराने में कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। 2018 में रिटायर होने वाले 68 सांसदों में से 58 सांसद अप्रैल में रिटायर हो जाएंगे। इनमें से 10 सांसद उत्तर प्रदेश और एक सांसद उत्तराखंड से है।
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2019 तक मणिपुर-पंजाब से सीट खाली नहीं
मणिपुर और पंजाब के खाते से मई 2019 तक किसी तरह की वैकेंसी नहीं है। चुनावी राज्यों में सिर्फ गोवा ही वो राज्य है जहां इस वर्ष एक सीट खाली हो रही है। इस साल राज्यसभा से कुल 9 सांसद रिटायर हो रहे हैं, जिनमें गुजरात से तीन सांसद और पश्चिम बंगाल से 6 सांसद हैं। लेकिन इन जगहों के भरने के बाद इस वर्ष राज्यसभा की तस्वीर में किसी तरह का विशेष बदलाव नहीं होगा। चुनावी राज्यों के अतिरिक्त दिल्ली, केरल, मध्य प्रदेश, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, बिहार, गुजरात और तेलंगाना से भी राज्यसभा की सीटें खाली हो रही हैं। भाजपा शासित राज्यों से एनडीए को बेहतर परिणाम मिलेंगे।
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राज्यसभा के लिए नामित सांसदों की भूमिका
अप्रैल 2018 में चार नामित सांसदों का कार्यकाल खत्म होने के बाद केंद्र सरकार अपने मुताबिक राज्यसभा के लिए सांसदों का चयन कर सकती है। क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर और अभिनेत्री रेखा का कार्यकाल अप्रैल 2018 में समाप्त हो रहा है। केंद्र सरकार की सलाह पर नामित सांसदों की नियुक्ति करते हैं।नामित सांसद किसी पार्टी के ह्विप से बंधे नहीं होते हैं।लेकिन सामान्य तौर पर ये देखा जाता है कि नामित सांसद सरकार के पक्ष में ही मतदान करते हैं।
राष्ट्रपति चुनावों पर असर
पांच राज्यों के चुनाव परिणाम का असर जुलाई में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव पर भी होगा। राष्ट्रपति को चुनने की प्रक्रिया में लोकसभा, राज्यसभा के साथ-साथ राज्यों की विधानसभाओं के सदस्य भी हिस्सा लेते हैं। चुनावी राज्यों में अगर चुनाव परिणाम भाजपा और उसके समर्थकों के पक्ष में आने पर वो राष्ट्रपति चुनाव में अपने आप को आसान हालात में पाएंगे। अगर चुनाव परिणाम भाजपा या उनके सहयोगी दलों के पक्ष में नहीं होता है तो सत्ता पक्ष को विपक्ष के दबाव का सामना करना होगा। हालांकि इन चुनाव परिणामों का उपराष्ट्रपति के चुनाव पर असर नहीं होगा।
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