जानिए क्यों है लातूर में पानी का भारी संकट
देश में तूर दाल के भाव तय करने वाला शहर लातूर अपने 100 साल के इतिहास मे सबसे बड़े जल संकट से जूझ रहा है। जानें इसके पीछे क्या हैं वजहें:-
लातूर। महाराष्ट्र का एक महत्वपूर्ण जिला है। यह समुद्री तल से 666 मीटर की ऊँचाई पर बसा हुआ है। लातूर में हमेशा से ही पानी की भारी कमी रही है। ये शहर उसके 100 साल के इतिहास मे अब तक की सबसे बडे पानी की समस्या से जुझ रहा है। सुखे का ऐसा कहर इस शहर ने अब तक नहीं देखा था। इस शहर में उभरे इन मुश्किल हालात के बारे में जानने से पहले इस शहर के बारे में जान लीजिये। ये देश की सबसे बड़ी दाल की मंडियों में से एक है। देश में तूर दाल के भाव अमुमन यहीं तय होतें हैं।
मुंबई से करीब 500 किलोमीटर दूर महाराष्ट्र का लातूर शहर पानी को तरस रहा है। इसी वर्ष मराठवाड़ा में पानी लेते समय भड़की हिंसा में कुछ लोगों की मौत हो चुकी है। लातूर और मराठवाड़ा बड़े नेताओं का इलाका रह चुका है इतना ही नहीं लातूर पूर्व सीएम विलासराव का गृहनगर भी है।
मराठवाड़ा की प्यास बुझाने पानी लेकर लातूर पहुंची ट्रेन, हुआ जोरदार स्वागत
लोगों का कहना है कि यहां 5 हज़ार लीटर टैंकर का पानी पहले 300-400 रुपये में मिल जाता था लेकिन आज वो एक हज़ार रुपये में मिलता है।लोग बताते हैं कि लातूर को छोड़कर तकरीबन 20 से 25 प्रतिशत लोग जा चुके हैं।
लातूर के जलसंकट पर शोध कर चुके अतुल देउलगांवकर का मानना है, "जलसंकट की अहम वजह है 4 साल से बारिश का कम होना। लेकिन इसके पीछे अन्य कारण भी हैं। लातूर शहर को मांजरा डैम से पानी मिलता रहा है। यह 55 किलोमीटर दूर है और अब सूख चुका है।
इसके बावजूद 80 फीसदी तक पाइप लीकेज की आशंका है, कई स्थानों पर नल नहीं लगाए गए हैं, इसका भी बुरा असर हुआ है। लातूर ज़िले की आबादी तकरीबन 11 लाख है और शहर की आबादी है 5 लाख और यहां मकानों की संख्या है 50,000 है।
'पानी की ट्रेन' के इंतजार में रात भर पटरियों पर बैठे रहे लातूर के लोग
मिली जानकारी के अनुसार साल 2015 में महाराष्ट्र में 3,228 किसानों ने आत्महत्या की है। राज्यसभा में पेश तथ्यों के अनुसार हर दिन यहां 9 किसान खुदकुशी के लिए मजबूर हो रहे हैं। मराठवाड़ा में जनवरी में 89 और फरवरी में 50 किसानों ने आत्महत्या की है।

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