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    रैपिड रेल से रफ्तार भरेगी राजधानी

    By Edited By:
    Updated: Mon, 01 Apr 2013 12:56 PM (IST)

    राजधानी दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र [एनसीआर] के शहरों के बीच प्रस्तावित रैपिड रेल परियोजना को लेकर बेशक दिल्ली सरकार का मत है कि इससे दिल्ली को कोई खास फायदा नहीं होगा, लेकिन एनसीआर योजना बोर्ड का दावा है कि इससे दिल्ली को मोटा फायदा होगा। अपनी एक रिपोर्ट में बोर्ड ने यह दावा किया है।

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    नई दिल्ली [राजू सजवान]। राजधानी दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र [एनसीआर] के शहरों के बीच प्रस्तावित रैपिड रेल परियोजना को लेकर बेशक दिल्ली सरकार का मत है कि इससे दिल्ली को कोई खास फायदा नहीं होगा, लेकिन एनसीआर योजना बोर्ड का दावा है कि इससे दिल्ली को मोटा फायदा होगा।

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    अपनी एक रिपोर्ट में बोर्ड ने यह दावा किया है। यह रिपोर्ट बोर्ड की ओर से केंद्रीय शहरी विकास मंत्रलय को भेजी गई है। इस रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि रैपिड रेल की वजह से दिल्ली को काफी फायदा होगा, इसमें आर्थिक फायदे की भी बात कही गई है। इस रिपोर्ट के मुताबिक रैपिड रेल बनने से दिल्ली में जीवन का स्तर सुधरेगा, क्योंकि इससे सड़कों पर वाहनों की संख्या कम होगी। इससे प्रदूषण कम होगा। बसों की जरूरत भी कम पड़ेगी। अतिरिक्त सड़कें बनाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। पेट्रोल-डीजल की खपत भी कम होगी। साथ ही रैपिड रेल कोरिडोर के निर्माण कार्य की वजह से राजस्व बढ़ेगा, क्योंकि इस तरह के निर्माण कार्य करने वाली कंपनियों से दिल्ली सरकार पैसे वसूलती है।

    रिपोर्ट में दावा किया गया है कि दिल्ली-पानीपत कोरिडोर बनने से वर्ष 2021 तक दिल्ली की सड़कों से 7380 दोपहिया वाहन, 11,656 कार और 437 बसें कम हो जाएंगी और सालाना लगभग 17 मिलियन लीटर ईंधन की खपत कम होगी, जबकि 1041 टन प्रतिवर्ष प्रदूषक तत्व कम होंगे। इसी तरह दिल्ली-मेरठ कोरिडोर बनने से वर्ष 2021 तक दिल्ली की सड़कों से 20,163 दोपहिया वाहन, 43,993 कारें और 189 बसें सड़कों से हटेंगी और सालाना लगभग 25 मिलियन लीटर ईंधन और 2325 टन प्रदूषण कम होगा। इस रिपोर्ट में रैपिड रेल ट्रांजिट कोरिडोर न बनने की स्थिति के बारे में भी बताया गया है। कहा गया है कि यदि रैपिड रेल कोरिडोर नहीं बना तो वर्ष 2016 तक दिल्ली में पानीपत, मेरठ और अलवर तक दो-दो लेन की सड़क बनाने की जरूरत पड़ेगी और वर्ष 2021 तक तीन-तीन लेन की सड़क बनानी होगी।

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