कांग्रेस में मचा चौतरफा बवाल, 'डूबता जहाज' बनती जा रही पार्टी
केंद्र की सत्ता जाते ही कांग्रेस में चौतरफा बवाल मचा हुआ है। इस तख्ता पलट का असर कांग्रेस शासित राज्यों में भी दिख रहा है। महाराष्ट्र, असम, और जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस में ऐसी भगदड़ मची है जैसे 125 साल पुरानी पार्टी डूबता जहाज हो। महाराष्ट्र में नारायण राणे ने चह्वाण सरकार छोड़कर पार्टी को झटका दिया तो असम में शिक्षा मंत्री हेमंत बिश्व शर्मा भी बगावती तेवर अख्तियार किए हुए हैं। हरियाणा में भी बगावत की चिंगारियों को चौधरी बीरेंद्र सिंह हवा दिए हुए हैं।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। केंद्र की सत्ता जाते ही कांग्रेस में चौतरफा बवाल मचा हुआ है। इस तख्ता पलट का असर कांग्रेस शासित राज्यों में भी दिख रहा है। महाराष्ट्र, असम, और जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस में ऐसी भगदड़ मची है जैसे 125 साल पुरानी पार्टी डूबता जहाज हो। महाराष्ट्र में नारायण राणे ने चह्वाण सरकार छोड़कर पार्टी को झटका दिया तो असम में शिक्षा मंत्री हेमंत बिश्व शर्मा भी बगावती तेवर अख्तियार किए हुए हैं। हरियाणा में भी बगावत की चिंगारियों को चौधरी बीरेंद्र सिंह हवा दिए हुए हैं।
पश्चिम बंगाल में पहले ही कांग्रेस की हालत पतली थी। अब उसके तीन विधायकों ने तृणमूल कांग्रेस का दामन थाम पार्टी को झटका दिया है। अनुशासन तार-तार होने के बाद कार्रवाई की बजाय हताश पार्टी ने कहा, राणे व हेमंत लालची हैं। इसी साल चुनाव वाले राच्य चाहे महाराष्ट्र, हरियाणा और जम्मू-कश्मीर हों या फिर असम और पश्चिम बंगाल जैसे राच्य। सभी जगहों पर नेतृत्व के खिलाफ मुखर असंतोष के स्वर बगावत में तब्दील होते जा रहे हैं। कांग्रेस भी औपचारिक रूप से मान चुकी है कि सबको एक साथ संभालना अब संभव नहीं है। महाराष्ट्र में दिग्गज नेता नारायण राणे ने 'हारी हुई पार्टी' के साथ चुनाव में न जाने का एलान कर कांग्रेस से छुट्टी पा ली।
माना जा रहा है कि वह भाजपा नेताओं से संपर्क में तो हैं ही और अपनी अलग पार्टी भी बना सकते हैं। इसी तरह असम सरकार में मंत्री हेमंत बिश्व शर्मा ने मुख्यमंत्री तरुण गोगोई के खिलाफ बगावत का बिगुल फूंक रखा है। उन्होंने राच्यपाल को 30 विधायकों की सूची भेजकर गोगोई को सीएम पद से हटाकर खुद का दावा पेश कर दिया है। हालांकि गोगोई के पीछे पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी के साथ पूरी पार्टी खड़ी है। वहीं, महाराष्ट्र में भी पृथ्वीराज चह्वाण को सीएम पद से हटाने से कांग्रेस ने इन्कार कर दिया है। दोनों मुख्यमंत्रियों को राहुल के वीटो के चलते ही अभयदान मिला। यही कारण है कि राणे व हेमंत का कांग्रेस से मोहभंग हो रहा है।
कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने दोनों राज्यों में बगावत को खारिज कर इसे कुछ नेताओं की सत्तालोलुपता का मामला बताया। सिंघवी ने कहा, सबको पता है कि चाहे असम में हेमंत हों या फिर महाराष्ट्र में राणे, दोनों की इच्छा सीएम पद की है। ऐसे में यह मुद्दों के आधार पर नहीं टूट रहे हैं, बल्कि पद के लालच का मामला है।
कांग्रेस के लिए परेशानी हरियाणा ने भी पैदा कर रखी है। मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा से नाराज पार्टी के कद्दावर नेता चौधरी बीरेंद्र सिंह के तेवर लगातार कड़े होते जा रहे हैं। उन्होंने फिर दोहराया है कि वह हुड्डा के नेतृत्व में चुनाव नहीं लड़ेंगे। उनका आरोप है कि हुड्डा के कार्यकाल में हरियाणा का विकास रोहतक के आस-पास तक सीमित हो गया है।
ज्ञात हो, चौधरी की भेंट 21 जून को भाजपा के तत्कालीन अध्यक्ष राजनाथ सिंह से भी हो चुकी है। जम्मू से पूर्व सांसद चौधरी लाल सिंह भी कांग्रेस से नाता तोड़ चुके हैं।
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