तत्काल के नाम पर दोहरी मार, छोटी दूरी के टिकट पर दोगुना किराया
तत्काल सुविधा उपलब्ध कराने के नाम पर रेलवे ने अपने यात्रियों को बड़ा झटका दिया है। मूल किराया एवं दूरी के नाम पर यात्रियों के जेब से मोटी रकम निकालने का इंतजाम रेलवे ने कर लिया है। रेलवे ने पिछले माह यात्रा किरायों में 14.2 फीसद की वृद्धि के साथ ही तत्काल टिकट बुकिंग की न्यूनतम दूरी सीमा 300 किलोमीटर से बढाकर पांच सौ किलोमीटर कर दी थी।
इलाहाबाद। तत्काल सुविधा उपलब्ध कराने के नाम पर रेलवे ने अपने यात्रियों को बड़ा झटका दिया है। मूल किराया एवं दूरी के नाम पर यात्रियों के जेब से मोटी रकम निकालने का इंतजाम रेलवे ने कर लिया है। रेलवे ने पिछले माह यात्रा किरायों में 14.2 फीसद की वृद्धि के साथ ही तत्काल टिकट बुकिंग की न्यूनतम दूरी सीमा 300 किलोमीटर से बढाकर पांच सौ किलोमीटर कर दी थी। इसकी वजह से छोटी दूरी के यात्रियों को तत्काल श्रेणी का टिकट खरीदने पर दोगुना से अधिक खर्च करना पड़ रहा है।
रेलवे सूत्रों का कहना है कि यह तब्दीली इसलिए की गई है ताकि तत्काल का फायदा लंबी दूरी के यात्रियों को मिले। अब लंबी दूरी के तत्काल टिकट में होने वाला खेल पर भी थोड़ी सी चर्चा कर लेते हैं। इलाहाबाद से मुबई रूट पर जून में जबरदस्त रश रहता है और तत्काल ही पब्लिक का बड़ा सहारा होता है। एक स्टिंग के जरिए खुलासा किया गया था कि इलाहाबाद, भदोही, वाराणसी, गोरखपुर और आजमगढ़ जैसे शहरों से यात्रा शुरू करने वाले पैसेंजर्स के टिकट गुजरात के स्टेशन नवसारी और महाराष्ट्र के स्टेशनों से बनते थे।
टिकट के खिलाड़ी पीआरएस टिकट की डिटेल एसएमएस में कन्वर्ट करके पैसेंजर्स को भेज देते थे। यह भी उजागर हुआ कि फ्लाइट से भी टिकट लेकर कोई नवसारी से चलें तब भी भदोही में जर्नी शुरू करने वाले पैसेंजर तक ट्रेन छूटने से पहले नहीं पहुंच सकता। तभी से तत्काल टिकट के लिए लिमिट फिक्स्ड करने की मांग उठी थी। लेकिन, इसकी चपेट में छोटी दूरी तक यात्रा करने वाले आ गए।
सिर्फ अपनी जेब भरने में लगा रेलवे :
सबसे हेवी ट्रैफिक लोड कवर्ड करने वाला रेलवे फिलहाल पब्लिक की जेब से ज्यादा से ज्यादा रुपये निकालने के जतन में लगा हुआ है। इसका ताजा उदाहरण डिस्टेंस फिक्स्ड किया जाना है। बता दें कि पहले यह दूरी 300 किलोमीटर थी। इसे इस बार बढ़ाकर पांच सौ किलोमीटर कर दिया गया है। दूसरे शब्दों में हर पैसेंजर को पांच सौ किलोमीटर की जर्नी का पैसा देना ही है।
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