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    रेल सुरक्षा और खानपान अभी भी गंभीर चुनौती

    By Edited By:
    Updated: Tue, 08 Jul 2014 03:39 PM (IST)

    रेल भाड़ा बढ़ाने और भारतीय रेल में सुरक्षा एवं सुविधाओं को विश्वस्तरीय बनाने के सरकारों के दावों के बीच रेल सुरक्षा एवं संरक्षा एक गंभीर समस्या बनी हुई है और 1

    नई दिल्ली। रेल भाड़ा बढ़ाने और भारतीय रेल में सुरक्षा एवं सुविधाओं को विश्वस्तरीय बनाने के सरकारों के दावों के बीच रेल सुरक्षा एवं संरक्षा एक गंभीर समस्या बनी हुई है और 18 रेल क्षेत्रों में उत्तर रेलवे, पूर्व मध्य रेलवे, पूर्व तटीय रेलवे, मध्य रेलवे में ट्रेन हादसों के सबसे अधिक मामले दर्ज किए गए हैं।

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    सूचना का अधिकार कानून के तहत रेल मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, पिछले छह वर्ष में उत्तर रेलवे में ट्रेनों के पटरी से उतरने के 49 मामले, पूर्व मध्य रेलवे में 47 मामले, मध्य रेलवे में रेल हादसों के 35 मामले, पूर्व तटीय रेलवे में ट्रेनों के पटरी से उतरने के 35 मामले, उत्तर सीमांत रेलवे में रेल हादसों के 33 मामले सामने आए हैं।

    आरटीआइ के तहत मिली जानकारी के अनुसार, हर छठे दिन औसतन एक ट्रेन के पटरी से उतरने या दुर्घटनाग्रस्त होने की घटनाएं सामने आई हैं। ट्रेनों में यात्रियों के भोजन का मुद्दा गंभीर विषय बना हुआ है। ट्रेनों में खराब भोजन मिलने के विषय पर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए रेल मंत्रालय, रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष और स्वास्थ्य मंत्रालय को नोटिस दिया गया था।

    रेलवे द्वारा विशेष प्रीमियम ट्रेनों के लिए सबसे अधिक किराये लेने के बावजूद यात्रियों की सुरक्षा और खानपान की स्थिति काफी खराब है। यात्रियों की सबसे बड़ी चिंता ट्रेनों के काफी देर से गंतव्य तक पहुंचने की है। ठंड और कोहरे के दौरान ट्रेनों का समय पर परिचालन सुनिश्चित करना अभी भी गंभीर समस्या बनी हुई है।

    आरटीआइ के तहत रेल मंत्रालय से मिली जानकारी के तहत, 2007 से 2012 के बीच करीब छह वर्ष के दौरान देश में ट्रेनों के पटरियों से उतरने एवं दुर्घटनाओं की 429 घटनाएं सामने आई हैं जिसमें 123 लोगों की मौत हुई और 851 लोग घायल हुए हैं।

    रेल मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, कोहरे और ठंड के मौसम में ट्रैक पर सिंग्नल एवं संकेत के लिए आज भी डेटोनेटरों का सहारा लिया जाता है। इसके अलावा फॉग लैम्पों का उपयोग किया जा रहा है।

    लोकसभा में पिछले वर्ष एक प्रश्न के लिखित उत्तर में तत्कालीन रेल राज्य मंत्री ने कहा था कि अप्रैल 2013 से जून 2013 के बीच रेल खानपान की गुणवत्ता की जांच के लिए 44286 निरीक्षण किए गए। इसके अलावा यात्रियों की राय जानने के लिए कार्ड भी प्रदान किए जाने का प्रावधान किया गया।

    ट्रेनों में मच्छर, तिलचट्टों, चूहों की समस्या की बात भी लगातार सामने आ रही है। वित्त वर्ष 2011-12 में ट्रेनों के पटरी से उतरने की 55 घटनाएं सामने आई हैं जिसमें 74 लोगों की मौत हो गई जबकि 367 लोग घायल हुए। इस वर्ष उत्तर मध्य रेलवे में ट्रेनों के पटरी से उतरने की आठ घटनाएं सामने आई जिसमें 71 लोगों की मौत हो गई जबकि 268 घायल हुए। पश्चिम मध्य रेलवे में ट्रेनों के पटरी से उतरने की चार घटनाएं सामने आई जिसमें दो लोगों की मौत हुई और 45 लोग घायल हुए।

    आरटीआइ के तहत मिली जानकारी के अनुसार, 2007 में ट्रेनों के पटरी से उतरने की 21 घटनाएं सामने आई जिसमें आठ लोगों की मौत हुई जबकि 17 लोग घायल हुए। वित्त वर्ष 2007-08 ट्रेनों के पटरी से उतरने की 100 घटनाएं सामने आई जिसमें 13 लोग मारे गए और 145 अन्य घायल हुए।

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