जेटली बोले, गौड़ा ने दिखाया साहस जो खड़गे नहीं दिखा सके
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। वित्तमंत्री अरुण जेटली ने रेल किराया-भाड़ा वृद्धि का बचाव किया है। उन्होंने कहा यह 'कठिन लेकिन सही' फैसला है। आखिर रेल तभी बचेगी जब उपभोक्ता सुविधाओं का शुल्क अदा करेंगे।
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। वित्तमंत्री अरुण जेटली ने रेल किराया-भाड़ा वृद्धि का बचाव किया है। उन्होंने कहा यह 'कठिन लेकिन सही' फैसला है। आखिर रेल तभी बचेगी जब उपभोक्ता सुविधाओं का शुल्क अदा करेंगे।
25 जून से लागू होने वाली रेल किराया-भाड़ा वृद्धि पर पहली प्रतिक्रिया में जेटली ने कहा कि रेलवे की यात्री सेवाओं में घाटे की भरपाई माल यातायात से की जाती है। हाल के दिनों में माल भाड़ों पर भी दबाव बढ़ा है। ऐसे में सरकार के आगे कोई विकल्प नहीं था। या तो वह रेलवे को घाटे में चलने और कर्ज के जाल में फंसने देती या फिर किराया बढ़ाती। भारत को यह तय करना होगा कि वह कैसी रेलवे चाहता है। विश्वस्तरीय या निम्नस्तरीय। घाटे वाली रेल घटिया सेवाएं ही प्रदान करेगी। आखिर में ऐसी स्थिति पैदा हो जाएगी कि रेलवे के लिए अपना खर्च पूरा करना भी मुश्किल हो जाएगा।
'रेल किराया वृद्धि का सच' शीर्षक के तहत फेसबुक पर की गई टिप्पणी में वित्तमंत्री ने लिखा है, 'दरें बढ़ाने का फैसला रेलवे बोर्ड ने पांच फरवरी को ही कर लिया था। तब संप्रग सरकार सत्ता में थी। बोर्ड ने माल भाड़े में पांच फीसद और किरायों में 10 फीसद का प्रस्ताव किया था। इसे पहली मई से लागू किया जाना था। चूंकि अंतरिम बजट अभी आना था लिहाजा सरकार ने सोचा कि पहली मई तक आम चुनाव संपन्न हो जाएंगे जबकि रेलवे को उम्मीद थी कि इस बढ़ोतरी से उसे 7900 करोड़ रुपये की अतिरिक्त आमदनी हो जाएगी।'
इस फैसले के साथ रेलमंत्री मल्लिकार्जुन खड़गे ने 11 फरवरी को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात की। प्रधानमंत्री ने वृद्धि को मंजूरी दे दी और सुझाव दिया कि किराये और मालभाड़े दोनों पहली मई से बढ़ाए जाएं। तदनुसार रेलवे बोर्ड ने 16 मई के दिन वृद्धि की अधिसूचना जारी की जब चुनाव परिणाम घोषित किए जा रहे थे लेकिन शाम को रेलमंत्री खड़गे ने कदम पीछे खींचने शुरू कर दिए। चुनाव में संप्रग की हार के बावजूद उन्होंने रेलवे बोर्ड के आदेश को स्थगित कर दिया ताकि सैद्धांतिक रूप से उनके और तत्कालीन प्रधानमंत्री द्वारा लिए गए निर्णय को राजग सरकार के रेलमंत्री को लागू करना पड़े। पिछली सरकार के स्थगन आदेश को रद कर मौजूदा रेलमंत्री सदानंद गौड़ा ने चुनौतीपूर्ण निर्णय लिया है। फैसला संप्रग सरकार का था लेकिन वह उसे लागू करने का साहस नहीं जुटा सकी।
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