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एंटनी कमेटी ने राहुल को नहीं, हार के लिए उनके फैसलों को बताया जिम्मेदार

लोकसभा चुनाव में शर्मनाक हार के कारण तलाशने वाली एंटनी कमेटी की रिपोर्ट आने के साथ ही कांग्रेस में फिर पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी की क्षमताओं को लेकर बहस तेज हो गई है। हालांकि एंटनी कमेटी ने हार के कारणों में कहीं भी राहुल का नाम नहीं लिया है, लेकिन हार के लिए जिन कारणों को जिम्मेदार

By Edited By: Published: Mon, 14 Jul 2014 04:12 AM (IST)Updated: Mon, 14 Jul 2014 07:52 AM (IST)
एंटनी कमेटी ने राहुल को नहीं, हार के लिए उनके फैसलों को बताया जिम्मेदार

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। लोकसभा चुनाव में शर्मनाक हार के कारण तलाशने वाली एंटनी कमेटी की रिपोर्ट आने के साथ ही कांग्रेस में फिर पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी की क्षमताओं को लेकर बहस तेज हो गई है। हालांकि एंटनी कमेटी ने हार के कारणों में कहीं भी राहुल का नाम नहीं लिया है, लेकिन हार के लिए जिन कारणों को जिम्मेदार ठहराया है उनमें से ज्यादातर राहुल की पहल या पसंद थे।

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पार्टी की पराजय में सबसे ज्यादा जिम्मेदार माने गए राहुल के नाम पर एंटनी कमेटी भले ही मौन हो, लेकिन रिपोर्ट में कमेटी ने हर उस निर्णय पर अंगुली उठाई है जो पार्टी उपाध्यक्ष की सहमति या मर्जी से हुए। कमेटी ने राज्यों में एकला चलो नीति की आलोचना की है। कमेटी के मुताबिक इस सोच के चलते कांग्रेस, द्रमुक और तृणमूल जैसे सहयोगियों को साथ लेने में असफल रही। जबकि, टीम राहुल के करीबियों की असफलता का खामियाजा पार्टी को बिहार में रामविलास पासवान, उपेंद्र कुशवाहा जैसे लोगों को खोकर भुगतना पड़ा।

कमेटी की कहना है कि पार्टी ने सही मौके पर सही फैसले नहीं लिए। यही नहीं, संगठन में प्रयोगों का खामियाजा भी पार्टी को भुगतना पड़ा। पार्टी का युवा संगठन चुनाव में नदारद रहा। कमेटी ने पार्टी के प्रचार के तरीके पर भी सवाल उठाए हैं। कमेटी के मुताबिक पार्टी के चुनाव प्रचार में विपक्ष के आरोपों को नकारने और राज्यों की समस्यायों को लेकर समन्वय का अभाव रहा जिसकी वजह से प्रचार दिशाहीन और प्रभावहीन रहा। कमेटी ने कांग्रेस की वर्ग विशेष के प्रति उदार होने की छवि, पार्टी में तालमेल का अभाव और राज्यों में प्रभावी नेताओं की कमी को भी हार के प्रमुख कारणों में रखा है। नीतियों में स्पष्टता का अभाव और गैर राजनीतिक लोगों के राजनीतिक अतिक्रमण को हार के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार बताया गया है। रिपोर्ट में पार्टी को बदलाव के लिए तैयार न रहने और युवाओं से न जुड़ पाने की बात भी कही गई है।

कमेटी ने उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश जैसे बड़े राज्यों सहित अन्य राज्यों के प्रभारियों की भूमिका पर भी सवाल खड़े किए हैं। एंटनी कमेटी ने संगठन में बड़े पैमाने पर फेरबदल की आवश्यकता बताई है।

पढ़ें : धर्मनिरपेक्षता पर कांग्रेस पार्टी के अंदर घमासान, एंटनी ने उठाया सवाल


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