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    मजाकिया अंदाज में बोले राजन-अभी ढाई महीने हूं

    अारबीअाई के गवर्नर अार राजन ने कहा कि क्रेडिट ग्रोथ में गिरावट पीएसयू बैंकों में दबाव के कारण हुआ है, न कि उच्च ब्याज दर के कारण।

    By Sanjeev TiwariEdited By: Updated: Wed, 22 Jun 2016 11:07 PM (IST)

    बेंगलूरु। भारतीय रिजर्व बैंक (अारबीअाई) के गवर्नर रघुराम राजन ने अाज बेंगलूरु में चुटकी लेते हुए मजाकिया अंदाज में कहा कि मुझे ऐसा लगा कि पिछले कुछ दिनों से मैंने अपनी विदाई के बारे में काफी पढ़ा है, लेकिन अभी भी ढाई महीने मेरा कार्यकाल बचा हुआ है।

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    रघुराम राजन ने कहा कि कर्ज की बेहद सुस्त रफ्तार के लिए सरकारी बैंकों के फंसे कर्ज (एनपीए) जिम्मेदार हैं। इसकी वजह ऊंची ब्याज दरें नहीं हैं। रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने अपने कार्यकाल के दौरान ऊंची ब्याज दरों का बचाव करते हुए ये बातें कहीं। उद्योग चैंबर एसोचैम की ओर से यहां आयोजित एक कार्यक्रम में पहुंचे राजन बोले कि ब्याज दरों का स्तर कोई समस्या नहीं है। बजाय इसके फंसे कर्जो के कारण सरकारी बैंक अब ज्यादा लोन देने से कन्नी काट रहे हैं।

    राजन ने मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रह्माण्यम के इस विचार को भी खारिज किया कि सरकारी बैंकों की सेहत सुधारने के लिए आरबीआइ के अतिरिक्त फंडों का उपयोग हो। उनके मुताबिक यह पारदर्शी तरीका नहीं है। इससे हितों का टकराव होगा।2015-16 में क्रेडिट ग्रोथ करीब छह दशक के निचले स्तर 8.6 फीसद पर पहुंच गई। जबकि बीते वित्त वर्ष प्रणाली में फंसे कर्ज 13 फीसद को पार करके 8000 अरब रुपये के आंकड़े पर पहुंच गए। राजन पर ब्याज दरों को ऊंचा बनाए रखने के लिए चौतरफा हमले होते रहे हैं।

    बीते महीने भाजपा सांसद सुब्रह्माण्यम स्वामी ने उनकी मौद्रिक नीतियों की आलोचना करते हुए उन्हें हटाने को लेकर मोर्चा खोल दिया। रेपो रेट को ऊंचा रखने के अपने फैसले का बचाव करते हुए राजन बुधवार को बोले कि उन्होंने महंगाई से लड़ने को मिशन की तरह लिया। इसमें वह सफल रहे क्योंकि यह दहाई से इकाई में आ गई। वह मानते हैं कि बैंकों के बही-खाते साफ होने पर ब्याज दरों को घटाने के लिए जगह बनेगी। यह भी कहा है कि कभी-कभार बैंकर फंसे कर्जो की समस्या बढ़ने के लिए नियामकों को जिम्मेदार मानते हैं। जबकि सच यह है कि इसके लिए बैंकर, प्रमोटर और परिस्थितियां जिम्मेदार हैं।

    आरबीआइ को मानसून सत्र से पहले मिलेगा मुखिया

    नई दिल्ली। रिजर्व बैंक के नए गवर्नर की नियुक्ति अगले महीने संसद के मानसून सत्र की शुरुआत से पहले हो सकती है। इस पद की दौड़ में केंद्रीय बैंक के पूर्व डिप्टी गवर्नर राकेश मोहन सबसे मजबूत दावेदार बनकर उभर रहे हैं।वित्त मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि सरकार रघुराम राजन के उत्तराधिकारी का चुनाव करने के करीब है। राजन ने पिछले हफ्ते एलान किया था कि चार सितंबर को कार्यकाल खत्म होने के बाद वह दूसरा कार्यकाल स्वीकार नहीं करेंगे।

    नए गवर्नर के नाम की घोषणा जुलाई मध्य तक हो सकती है। राकेश मोहन अभी अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष में भारत के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर हैं। अन्य संभावित उम्मीदवारों में भारतीय स्टेट बैंक की प्रमुख अरुंधती भट्टाचार्य, आरबीआइ के डिप्टी गवर्नर सुबीर गोकर्ण और आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास शामिल हैं।

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