आईएस के बढ़ते प्रभाव ने उड़ाई जैश और लश्कर की नींद
आईएस के बढ़ते प्रभाव ने जैश और लश्कर जैसे आतंकी संगठनों की नींद उड़ा कर रख दी है। जानकारी के मुताबिक मुस्लिम युवा इन्हें छोड़कर आईएस की ओर रुख कर रहे हैं।
नई दिल्ली। लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के लिए आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट बड़ी चुनौती बन रहा है। इसकी वजह कट्टरपंथ की ओर रुझान रखने वाले मुस्लिम युवाओं के बीच इसकी बढती लोकप्रियता को माना जा रहा हैै। टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक युवाओं के इस्लामिक स्टेट की अपील का खासा असर दिखाई दे रहा है। सिमी, लश्कर और इंडियन मुजाहिदीन समेत कुछ ऐसे दूसरे आतंकी संगठनों ने 'जिहादी' हमले के नाम पर भारत में कई आतंकी वारदातों को अंजाम दिया है।
मौजूदा दौर में सीरिया और इराक के बड़े हिस्सों में इस्लामिक स्टेट की सत्ता है। इतना ही नहीं सीरिया के शहर रक्का को उसने अपनी राजधानी तक घोषित कर रखा है। वहीं इन इलाकों में कभी अपना प्रभुत्व रखने वाले दूसरे आतंकी संगठन अब हाशिये पर चले गए हैं। इन दिनों अमेरिका और रूस के हमलों ने यहां पर इस्लामिक स्टेट की कमर तोड़कर रख दी है। मौजूदा समय में उसके कई अहम ठिकाने ध्वस्त हो गए हैं और वह अपनी खराब माली हालत से भी दो-चार हो रहा है।
टीओआई ने खुफिया सूत्रों से मिली जानकारी के हवाले से कहा है कि पाकिस्तान के आतंकी संगठनों से जुड़ाव रखने वाले कट्टर मुस्लिम युवाओं का झुकाव इन दिनों इस्लामिक स्टेट की तरफ ज्यादा हो गया है। इस दावे की वजह पिछले कुछ समय में इससे जुड़ने वाले युवाओं का पकड़ा जाना बताया गया है। इसमें भी खास बात यह है कि जिन्हें पकड़ा गया है वह पहले जैश और सिमी जैसे संगठनों के साथ रह चुके हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक आईएस से लगाव रखने वाले युवाओं पर सख्त निगाह रखी जा रही है। ऐसी किसी भी जानकारी को हल्के में नहीं लिया जाता है। लेकिन यह बात साफ है कि इस्लामिक स्टेट अगर मजबूत हुआ तो भारत के लिए यह अच्छा नहीं होगा।
पाकिस्तान में बढ़ते इस्लामिक स्टेट के प्रभाव से आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक और जमात-उद-दावा के प्रमुख हाफिज सईद भी परेशाान है। यही वजह है कि उसने इस प्रभाव को रोकने के लिए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री से अपील की है।
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