रंजीत सिन्हा के इरादों पर रेलवे में उठे सवाल
पवन बंसल को जांच से पहले ही क्लीन चिट देने के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के निशाने पर आए सीबीआइ निदेशक रंजीत सिन्हा के खिलाफ रेल भवन में भी भारी आक्रोश है। अधिकारी व संगठन सिन्हा के खिलाफ भड़ास निकाल रहे हैं और आरपीएफ महानिदेशक के तौर पर उनके कार्यकाल की बखिया उधेड़ रहे हैं।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पवन बंसल को जांच से पहले ही क्लीन चिट देने के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के निशाने पर आए सीबीआइ निदेशक रंजीत सिन्हा के खिलाफ रेल भवन में भी भारी आक्रोश है। अधिकारी व संगठन सिन्हा के खिलाफ भड़ास निकाल रहे हैं और आरपीएफ महानिदेशक के तौर पर उनके कार्यकाल की बखिया उधेड़ रहे हैं।
ऑल इंडिया आरपीएफ एसोसिएशन ने आरोप लगाया है कि घूसखोरी उजागर करने के नाम पर सिन्हा आरपीएफ डीजी के रूप में हुए अपमान का बदला ले रहे हैं। उन्हें घूसखोरी के आरोपों में ही यहां से हटाया गया था। एसोसिएशन के महासचिव उमाशंकर झा ने प्रमाणों के साथ बताया कि उन्होंने तीन अगस्त 2012 को ही केंद्रीय सतर्कता आयुक्त को चिट्ठी लिखकर आगाह कर दिया था कि रंजीत सिन्हा अभी सीबीआइ निदेशक बने भी नहीं हैं, मगर आरपीएफ में उनके पुराने पिछलग्गू अधिकारी रेलभवन में सबको चेतावनी दे रहे हैं कि सीबीआइ डायरेक्टर बनते ही उन सभी लोगों को सबक सिखाएंगे, जिन्होंने उन्हें निकलवाने में भूमिका निभाई थी।
झा के मुताबिक, उन्होंने 28 अप्रैल 2010 को रेलमंत्री ममता बनर्जी से तत्कालीन आरपीएफ डीजी रंजीत सिन्हा व आइजी बीएस सिद्धू के भ्रष्टाचार की शिकायत की थी। ममता ने रेलवे बोर्ड में कार्यकारी निदेशक (सिक्युरिटी) नजरुल इस्लाम से जांच कराई थी। सीबीआइ सिद्धू के खिलाफ पहले से ही जांच कर रही थी। उसी जांच के आधार पर सिद्धू को उनके मूल काडर में भेज दिया गया था।
आरपीएफ एसोसिएशन ने 20 जनवरी 2011 को रंजीत सिन्हा के खिलाफ मय प्रमाण 10 पेज की एक और तगड़ी शिकायत रेलमंत्री का भेजी। शिकायत सही पाई गई और अंतत: सिन्हा को भी 19 मई, 2011 को आरपीएफ से हटाकर 'कंपल्सरी वेटिंग' में गृह मंत्रालय भेज दिया गया। मगर उल्टे उन्हें सीबीआइ निदेशक जैसे अहम पद पर बैठा दिया गया।
झा के अनुसार, महेश कुमार, सिंगला व उसके सहयोगियों की भूमिका की जांच पर ध्यान देने की बजाय सीबीआइ अनावश्यक रूप से आरपीएफ में गड़बड़ियों की जांच की बात उठाकर मूल जांच से ध्यान बंटाने की कोशिश कर रही है। क्योंकि सिन्हा आरपीएफ के डीजी मेहता व मुझसे पुराना हिसाब चुकता करना चाहते हैं।
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