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    नोट ही नहीं वोट भी लाए हैं प्रवासी

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    Updated: Sun, 22 Jan 2012 09:47 PM (IST)

    पंथ, धर्म और धन राजनीति के प्रमुख रसायन हैं। उसी से जुड़े प्रवासी पंजाबी भी ऐन चुनाव के वक्त अपनी माटी की ओर खिंचे चले आए हैं। उनके पास नोट ही नहीं बल्कि भारी संख्या में वोट भी हैं।

    जालंधर [सुरेंद्र प्रसाद सिंह]। पंथ, धर्म और धन राजनीति के प्रमुख रसायन हैं। उसी से जुड़े प्रवासी पंजाबी भी ऐन चुनाव के वक्त अपनी माटी की ओर खिंचे चले आए हैं। उनके पास नोट ही नहीं बल्कि भारी संख्या में वोट भी हैं।

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    पंजाब की सियासत में उनकी दखल कम नहीं है। चुनाव चाहे गांव के मुखिया का हो या चंडीगढ़ व दिल्ली की बड़ी पंचायतों का, वे इसे प्रभावित करते ही हैं। पंजाबी प्रवासियों का गढ़ दोआबा है, जहां उनके रसूख देखने लायक हैं।

    परदेसियों के प्रभाव के चलते लगभग सभी दलों ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में उनके मुद्दों को शामिल करने की कोशिश की है। यही वजह है कि विधानसभा चुनाव का बिगुल सुनते ही सरदार सुरिंदर सिंह ऑस्ट्रेलिया से खिंचे चले आए हैं। वह पिछले पांच दिनों से नवांशहर में चुनाव प्रचार में जुटे हैं।

    पूछने पर बोल पड़े कि आइ मस्ट कम, वेन नेससरी..ज्यादा की बौल्यूं जी। गुरनाम सिंह अमेरिका से अपने मित्र की चुनाव में मदद करने आए हैं। जालंधर शहर में प्रवासी भारतीयों का एक दस्ता पहले ही पहुंच गया है। विदेश से चुनावों में हिस्सा लेने आने वालों में कनाडा के लोग ज्यादा हैं।

    कांग्रेस समर्थक प्रवासी पंजाबियों का एक दल दिल्ली से जालंधर पहुंचने वाला है। इन विदेशी धनाढ्यों के खुद के वोटों के भले ही खास मायने न हों, लेकिन उनका अपने गांवों व क्षेत्र के वोटों पर जबर्दस्त असर है। गांव सभा, क्षेत्र गुरुद्वारा और डेरों में चंदा देने की वजह से उनका बहुत रसूख है। तमाम ऐसे लोग हैं जो विदेश से ही 'रिमोट कंट्रोल' से वोटों को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं। ये प्रवासी सभी दलों को अपनी पसंद के हिसाब से चंदा देते हैं। उनके इसी प्रभाव का फायदा उठाने के लिए ज्यादातर उम्मीदवार लगातार प्रवासियों के संपर्क में हैं। जालंधर स्थित एनआरआइ [प्रवासी भारतीय] सभा का समर्थन पाने के लिए सभी दल प्रयास कर रहे हैं।

    इसी अहमियत के मद्देनजर कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में एनआरआइ कार्ड खेला है। पार्टी ने पंजाब के प्रवासियों के लिए चुनाव से कोई तीन महीने पहले ही एक प्रकोष्ठ का गठन कर दिया था। प्रकोष्ठ चुनाव में अहम भूमिका निभा रहा है। इन तीन महीनों में ही इस प्रकोष्ठ ने दस हजार प्रवासी भारतीयों को जोड़ने का दावा किया है।

    कांग्रेस के दावे पर यकीन करें तो इनमें से तकरीबन दो हजार प्रवासी पंजाब के चुनावी अभियान में उनके पक्ष में प्रचार कर रहे हैं। पंजाब चुनाव में प्रवासियों के मसले पर सभी दल गंभीर हैं। लेकिन इनमें प्रवासियों की संपत्ति, विवाह व बच्चों को गोद लेने जैसे मुद्दों को कांग्रेस ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में शामिल किया है।

    तथ्य यह है कि फिलहाल दुनिया के विभिन्न देशों में प्रवास करने वाले भारतीयों में लगभग 40 फीसदी हिस्सेदारी अकेले पंजाब की है, जो तकरीबन 20 लाख के करीब है।

    हवाला पर आयोग की नजर

    जालंधर। चुनाव में विदेश से जितना धन आ रहा है, उसका एक बड़ा हिस्सा हवाला के मार्फत पहुंच रहा है। इससे स्थानीय प्रशासन अच्छी तरह वाकिफ है। चंदे की रकम जायज तौर पर भले मनीग्राम और वेस्टर्न यूनियन के मार्फत ट्रांसफर होती हो, लेकिन इसकी कई गुना रकम हवाला के माध्यम से पहुंच रही है। इस पर चुनाव आयोग की कड़ी नजर है। आयोग ने इसके लिए पर्यवेक्षक लगाए हैं।

    राज्य की 117 सीटों पर हो रहे चुनाव के लिए कुल 43 ऐसे पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की गई है, जो सिर्फ चुनाव में होने वाले खर्च का ब्यौरा तैयार कर रहे हैं। साथ ही चंदे के स्त्रोत खंगाल रहे हैं। ये सभी अधिकारी केंद्रीय राजस्व सेवा के वरिष्ठ अधिकारी हैं। इनकी नजर बाहर से हवाला के मार्फत आने वाले धन की तरफ है।

    सूत्रों की मानें तो आयोग की सख्ती से कुछ हद तक लगाम तो लगी है, लेकिन हवाला से आने वाले धन को रोकना इतना आसान नहीं है। धरपकड़ में लगी बाहरी पुलिस को इसकी भनक भी नहीं लग पा रही है।

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