पुणे: तीन माह की बच्ची की बदौलत मालिन में बचाया गया परिवार
पुणे के मालिन गांव में बुधवार सुबह हुए भूस्खलन में मरने वालों की संख्या 51 पहुंच गई है। मलबे की मोटी परत के नीचे अब भी करीब 121 लोगों के दबे होने की आशंका है। खराब मौसम के कारण राहत व बचाव कार्य में आ रही परेशानियों के चलते इनके जीवित बचने की संभावनाएं भी लगातार कम होती जा रही हैं। इस बीच राहत कर्मियों ने तीन माह की ब'ची के चलते पूरे परिवार के चार सदस्यों की जान बचाने में कामयाब रहे।
मुंबई। पुणे के मालिन गांव में बुधवार सुबह हुए भूस्खलन में मरने वालों की संख्या 51 पहुंच गई है। मलबे की मोटी परत के नीचे अब भी करीब 121 लोगों के दबे होने की आशंका है। खराब मौसम के कारण राहत व बचाव कार्य में आ रही परेशानियों के चलते इनके जीवित बचने की संभावनाएं भी लगातार कम होती जा रही हैं। इस बीच राहत कर्मियों ने तीन माह की बच्ची के चलते पूरे परिवार के चार सदस्यों की जान बचाने में कामयाब रहे। बच्ची के रोने की आवाज सुनकर राहत कर्मियों ने जब मलबे में तलाश शुरू की तो पूरे परिवार को जिंदा बचा लिया गया। सभी को अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां सभी की हालत खतरे से बाहर बताई गई है।
गुरुवार को मालिन गांव पहुंचे गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने मृतकों के परिजनों को प्रधानमंत्री राहत कोष से दो-दो लाख रुपये की मदद देने की घोषणा की। इस बीच सिद्धी विनायक मंदिर ने मालिन हादसे में राहत के लिए पचास लाख रुपये देने की बात कही है। वहीं सीपीआईएम ने इस पूरे मामले की जांच की मांग की है। बुधवार सुबह पुणे से करीब 80 किमी दूर हुए इस हादसे में पहाड़ टूटकर गिरने से एक मंदिर सहित 45 घरों का एक पूरा गांव मलबे में तब्दील हो गया। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चह्वाण के अनुसार हादसे में करीब 160 लोग सोते-सोते ही मलबे में दब गए थे। दुर्घटना के कुछ घंटों बाद से ही राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन बल (एनडीआरएफ) की सात टीमें लगातार बचाव कार्य में लगी हैं।
इसके बावजूद अभी तक सिर्फ 51 शव और आठ घायलों को मलबे से निकाला जा सका हैं। टूटे पहाड़ के पत्थर और मिट्टी के मलबे की मोटी परत ऊपर होने के कारण लोगों के जीवित बचने की उम्मीदें कम होती जा रही हैं। लगातार हो रही भारी बरसात के कारण एनडीआरएफ व दमकल विभाग को काम करने में बाधा का सामना करना पड़ रहा है। एनडीआरएफ जेसीबी और पोकलैंड मशीनों की मदद से धीरे-धीरे मलबा हटाने का प्रयास कर रहा है, ताकि दबे हुए लोगों में अधिक से अधिक को जीवित निकाला जा सके।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर घटनास्थल का जायजा लेने पहुंचे राजनाथ सिंह के अनुसार एनडीआरएफ को बचाव कार्यपूर्ण करने में अभी दो दिन लग सकते हैं। सिंह ने कहा कि दुर्घटना के कारणों पर बात करना अभी जल्दबाजी होगी। भूवैज्ञानिक बाद में इसके कारणोंकी तह में जा सकते हैं। लेकिन राज्य सरकारों को इस बात का ध्यान जरूर रखना चाहिए कि विकास की योजनाएं पर्यावरण को ध्यान में रखकर बनाई जाएं। राकांपा अध्यक्ष शरद पवार ने भी गुरुवार को घटनास्थल का दौरा किया। गुरुवार को मालिन गांव के नजदीकी श्मशान में भीड़ बढ़ती जा रही है।
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