17 हजार करोड़ की रक्षा खरीद को मंजूरी
रक्षा मंत्रालय ने लंबे समय से अटके हजारों करोड़ के सैन्य सौदों को नया बूस्टर डोज दिया है। रक्षा मंत्री अरुण जेटली की अगुवाई वाली रक्षा खरीद परिषद (डीएस ...और पढ़ें

नई दिल्ली। रक्षा मंत्रालय ने लंबे समय से अटके हजारों करोड़ के सैन्य सौदों को नया बूस्टर डोज दिया है। रक्षा मंत्री अरुण जेटली की अगुवाई वाली रक्षा खरीद परिषद (डीएसी) ने घपले के आरोपों से घिरे करीब छह हजार करोड़ रुपये लागत के 197 हल्के हेलिकाप्टर खरीद की कवायद को रद कर दिया है। वहीं सैन्य आधुनिकीकरण के लिए 17 हजार करोड़ से ज्यादा के प्रस्तावों को मंजूरी दे दी है।
रक्षा मंत्रालय में काफी समय से आरोपों और जांच रिपोर्ट के बीच झूल रहे 197 हल्के हेलिकाप्टर खरीद सौदे को लेकर चल रहा संशय समाप्त कर दिया गया है। शुक्रवार को हुई रक्षा खरीद परिषद की बैठक में इस प्रस्तावित सौदे को रद करने का फैसला लिया गया।
सूत्रों के मुताबिक, परिषद ने तय किया कि विदेशों से खरीद की बजाए हल्के हेलिकाप्टरों की जरूरत पूरा करने का मौका भारतीय रक्षा उद्योग को ही दिया जाए।
भारतीय सेनाओं के पास मौजूद पुराने चीतल व चीता हेलिकाप्टरों के स्थान पर करीब 400 नए हेलिकाप्टर बनाने का ऑर्डर भारतीय कंपनियों को मिल सकता है। दलाली और घूसखोरी के आरोपों के चलते हेलिकाप्टर खरीद का सौदा लंबे समय से अटका था। मामले को लेकर जनवरी 2014 में सीबीआइ ने सेना के एक ब्रिगेडियर और रक्षा मंत्रालय के अज्ञात अधिकारियों समेत अन्य लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था। बीते सात सालों में दूसरी बार हल्के हेलिकाप्टर की खरीद का यह सौदा रद हुआ है।
पनडुब्बियों को करीब 5000 करोड़ रुपये की लागत से आधुनिक बनाए जाने की योजना है। साथ ही नौसेना को 1700 करोड़ रुपये की लागत से अपने जंगी जहाजों के लिए पनडुब्बी रोधी तंत्र को मुकम्मल करने की भी मंजूरी मिल गई है। डीएसी ने नौसेना को 16 बहुउद्देश्यीय हेलिकाप्टर खरीद के लिए निविदाएं खोलने के लिए भी हरी झंडी दिखा दी है। इस सौदे की दौड़ में अमेरिकी कंपनी सिकोर्स्की और यूरोप की एनएच इंडस्ट्रीज के अलावा अगस्ता-वेस्टलैंड भी शामिल थी।
रक्षा सूत्रों के मुताबिक डीएसी ने सेना को 6600 करोड़ रुपये लागत से 114 अर्जुन मार्क-2 टैंक की खरीद की मंजूरी दे दी है। इसके अलावा 40 अर्जुन टैंक में चेसिस आधारित कैटापोल्ट आर्टिलरी सिस्टम लगाने की भी इजाजत दी है। पूर्वोत्तर में चीन सीमा के करीब तैनात सैन्य दस्तों के लिए एक डेडिकेटेड मोबाइल कम्युनिकेशन सिस्टम मुहैया कराने के प्रस्ताव को भी अनुमति दी गई है।
हालांकि, सूत्रों के मुताबिक 15 हजार करोड़ रुपये की लागत से इजराइली स्पाइक एंटी टैंक मिसाइल सिस्टम के प्रस्ताव पर फैसला टाल दिया गया। गौरतलब है कि बीते दिनों भारत आए अमेरिका के रक्षा मंत्री चक हेगल ने अमेरिकी जैवलिन मिसाइल के प्रस्ताव की पैरवी की थी। अमेरिका ने इसके लिए भारत को संयुक्त उपक्रम का भी प्रस्ताव दिया है।

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