अंग्रेजी दवाएं लिखने पर रोक, सुप्रीम कोर्ट जाएंगे आयुष के डॉक्टर
आयुष के डॉक्टरों के एलोपैथिक (अंग्रेजी) दवाएं लिखने पर रोक लगाए जाने के बाद चिकित्सा जगत में इस आदेश पर बहस तेज हो गई है।
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली । आयुष के डॉक्टरों के एलोपैथिक (अंग्रेजी) दवाएं लिखने पर रोक लगाए जाने के बाद चिकित्सा जगत में इस आदेश पर बहस तेज हो गई है। एलोपैथिक डॉक्टरों के संगठन (दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन) और आयुष डॉक्टरों के संगठन इंटिग्रेटिड मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) आमने-सामने आ गए हैं। डीएमए ने जहां हाई कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है, वहीं आइएमए ने फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की बात कही है।
आइएमए के महासचिव डॉ. आरपी परासर ने कहा कि हाई कोर्ट का फैसला आने से पहले आयुर्वेदिक और यूनानी डॉक्टरों को एलोपैथिक दवाएं लिखने का अधिकार भी मिला हुआ था। आयुर्वेदिक चिकित्सा शिक्षा को संचालित करने वाले दिल्ली भारतीय चिकित्सा परिषद के अधिनियम और हाई कोर्ट द्वारा पहले दिए गए निर्णय के आधार पर एलोपैथिक दवाएं लिखने का अधिकार था। हाई कोर्ट ने नए आदेश में इन तथ्यों पर गौर नहीं किया, इसलिए इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाएगी।
बुधवार को एसोसिएशन के पदाधिकारियों की बैठक बुलाई गई है, जिसमें इस पर चर्चा की जाएगी। डीएमए ने हाई कोर्ट की दो सदस्यीय खंडपीठ के आदेश को सही ठहराते हुए कहा कि एलोपैथिक दवाएं लिखने का अधिकार आयुष के डॉक्टरों को नहीं होना चाहिए। आयुष के डॉक्टरों को एलोपैथिक दवाओं के बारे में नहीं पढ़ाया जाता। इसलिए आयुष के डॉक्टरों द्वारा एलोपैथिक दवाएं लिखना मरीजों के स्वास्थ्य के लिए घातक साबित हो सकता है।
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