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    सूफी फोरम : पीएम ने कहा आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई किसी मजहब के खिलाफ लड़ाई नहीं

    By Manish NegiEdited By:
    Updated: Thu, 17 Mar 2016 08:56 PM (IST)

    दिल्ली के विज्ञान भवन में आज से वर्ल्ड सूफी फोरम का आगाज हो गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई किसी मजहब के खिलाफ लड़ाई नहीं है। सूफी गुरुओं के ऊपर उन चेहरों पर मुस्कान लाने की जिम्मेदारी है जो आतंक के शिकार हैं।

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    नई दिल्ली। सूफी फोरम के उद्घाटन का आगाज भारत मां की जय के नारे से हुआ। इस मौके पर पीएम मोदी ने कहा कि आंतकवाद के खिलाफ लड़ाई किसी मजहब के खिलाफ लड़ाई नहीं है। उन्होंने कहा कि भारत की संस्कृति वसुधैव कुटुम्बकम की रही है। हम पूरी दुनिया को एक परिवार की तरह मानते हैं। भारत उस दर्शन में विश्वास करते हैं। जिसमें शांति, सद्भाव और भाईचार फलता-फूलता है। उन्होंने कहा कि इस्लाम का मतलब शांति होता है और सूफीवाद उस शांति की आवाज है। पीएम ने कहा कि सूफीवाद विविधता और बहुलवाद का उत्सव है,

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    उन्होंने कहा कि आज पूरी दुनिया एक मुश्किल दौर से गुजर रही है। जिसका सामना करने के लिए धर्मगुरुओं को आगे आना होगा। जब मासूमों की आवाज को बंदूकों और गोलियों से दबाया जा रहा है उस हालात में आप लोग उम मासूमों के चेहरे पर मुस्कान ला सकते हैं। आप लोगों का एक मंच पर होना ये संदेश दे रहा है कि हम सभी शांति, सहिष्णुता और प्रेम के समर्थक हैं।

    मशहूर सूफी संत बुल्ले शाह ने कहा था कि ईश्वर सभी के दिल में रहते हैं। और ये हकीकत भी है। उनके आदर्श आज के समय की जरूरत है। हजरत निजामुद्दीन ने कहा था कि परवरदिगार उन्हें प्यार करते हैं जो इंसानियत से प्यार करते हैं।

    इस देश में चाहे कोई भी किसी पंथ का हो वो इस देश का अभिन्न हिस्सा है। भारत में सूफी का आगमन बाहर से हुआ लेकिन आज इस देश से सूफी विचारधारा दुनिया में फैल चुकी है। पीएम ने कहा कि सूफी में मानवता की सेवा करना ही ईश्वर की सेवा करना है।

    सूफी विचारधारा में संगीत का गहरा प्रभाव रहा है। और इसकी झलक भारतीय संगीत पर दिखाई देती है। इस्लाम मतलब है शांति, और सूफीवाद शांति की आवाज है। आतंकवाद अलग अलग विचारों से पोषित होता है। लेकिन आज जरूरत इस बात है कि उस काली सोच को सूफी की रोशनी से दूर किया जाए। जिन देशों में आतंकवाद है वो दूसरे देशों की तुलना में खुद को तबाह और बर्बाद कर रहे हैं।

    पीएम ने सूफी संतों का स्वागत करते हुए कहा कि हम आप का स्वागत ऐसे मुल्क में कर रहे हैं जिसकी विरासत अनेकता में एकता और सर्वधर्म समभाव की रही है।

    तीन दिनों तक चलने वाले इस कार्यक्रम में 20 देशों के करीब 200 प्रतिनिधि शामिल हो रहे हैं। आखिरी दिन रामलीला मैदान में एक रैली भी आयोजित होगी। कार्यक्रम का आयोजन ऑल इंडिया उलमा एंड मशैख बोर्ड (AIUMB) द्वारा किया जा रहा है।