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    जानिए, एशिया के सबसे लंबे पुल के बारे में जिससे चीन को मिलेगा मुंहतोड़ जवाब

    By Rajesh KumarEdited By:
    Updated: Mon, 15 May 2017 07:08 PM (IST)

    ‘धोला-सदिया ब्रिज’ की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसके ऊपर से करीब 60 टन का लड़ाकू टैंक लेकर जाया जा सकता है।

    जानिए, एशिया के सबसे लंबे पुल के बारे में जिससे चीन को मिलेगा मुंहतोड़ जवाब

    नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। चीन जहां लगातार भारत को सामरिक तौर पर घेरने की पूरी कोशिश कर रहा है और इसके लिए वह सीमा से लगता इलाकों में तेज़ी से सड़कें और अन्य चीजों का निर्माण कर रहा तो वहीं दूसरी तरफ भारत अपने पड़ोसी चीन की मंशा को भांपकर उसे जबाव देने की पूरी तैयारी में लगा हुआ है। इसके लिए भारत ना सिर्फ चीन से लगते सीमावर्ती इलाके में अपने सैन्य प्रतिष्ठानों को मजबूत कर रहा है बल्कि तेजी से इन्फ्रास्ट्रक्चर का निर्माण भी किया जा रहा है।

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    अरुणाचल के सामरिक ठिकाने तक होगी आसानी से पहुंच

    ताज़ा मामला है भारत की तरफ से ब्रह्मपुत्र नदी के ऊपर बनाए गए एशिया के सबसे लंबे पुल का। 9.15 किलोमीटर लंबा यह पुल ना सिर्फ असम और अरुणाचल प्रदेश के बीच के सफर की दूरी को कम करेगा बल्कि समय की भी बचत होगी। इस पुल को आम लोगों के लिए मोदी सरकार की तीन वर्ष पूरे होने पर खोल दिया जाएगा।

    'भारत के लिए धोला-सादिया ब्रिज सामरिक लिहाज से खास अहमियत रखता है'

    रिटार्ड मेजर जनरल दीपांकर बनर्जी

    ‘धोला-सदिया ब्रिज’ की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसके ऊपर से करीब 60 टन का लड़ाकू टैंक लेकर जाया जा सकता है। यानि, इस पुल के जरिए सैन्य और आम लोगों की गाड़ियों की आसानी से आवाजाही हो सकेगी और अरुणाचल प्रदेश के अनिनी में बने सामरिक ठिकाने तक आसानी से पहुंचा जा सकेगा। अनिनी चीन की सीमा से सिर्फ 100 किलीमोटर ही दूर है। 

    रिटार्ड मेजर जनरल दीपांकर बनर्जी ने जागरण डॉट कॉम से बात करते हुए कहा कि एशिया का सबसे लंबे पुलि धोला-सादिया ब्रिज ना सिर्फ भारत के लिए सामरिक लिहाज से खास अहमियत रखता है बल्कि विकास और आर्थिक लिहाज से भी यह काफी फायदेमंद है।

    रणनीतिक लिहाज से महत्वपूर्ण ‘धोला-सदिया ब्रिज’

    प्रधानमंत्री मोदी की तरफ से साढ़े नौ किलोमीटर लंबे इस पुल के मॉनसून से ठीक पहले किए जा रहे उद्घाटन को असम और अरुणाचल प्रदेश के लोगों के लिए बड़ा उपहार माना जा रहा है क्योंकि इन दोनों राज्यों के लोगों को नदी पार करने के लिए काफी दूरी तय करनी पड़ती है या फिर नाव के जरिए जाने पर चार घंटे का समय लगता है। तो वहीं दूसरी तरफ सामरिक लिहाज से भी यह पुलिस खास अहमियत रखता है। ऐसे में यह पुल सुरक्षा बलों के लिए तेज़पुर होते हुए दिबांग और अन्जाव सीमा पर पहुंचना आसाना होगा जो अभी दो दिन (गुवाहाटी से करीब 186 किलोमीटर) लग जाते हैं।

    'असम का दक्षिणी और उत्तरी इलाका जोड़ने में सहायक होगा'

    रिटा. मेजर जनरल बनर्जी

    रिटा. मेजर जनरल बनर्जी ने कहा कि पहले असम में सिर्फ दो पुल ही बने थे। लेकिन इस तीसरे पुल के बन जाने के बाद साउदर्न असम के इलाके को नॉर्दर्न असम से आसानी से जोड़ा जा सकेगा। इसके साथ ही, सेना के सामानों की आवाजाही भी आसानी से इस पुल के जरिए हो पाएगी।

    असम के विकास को मिलेगी गति

    दीपांकर बनर्जी ने बताया कि असम का पूर्वोत्तर इलाका काफी पिछड़ा हुआ है। इस लिहाज से इसके उत्तरी और दक्षिणी इलाके के इस पुल से जुड़ने के बाद विकास की पहुंच असम के पूर्वोत्तर इलाके तक पहुंचेगी। फिलहाल, तिनसुकिया के आसपास ऐसा कोई भी मजबूत पुल नहीं है जिसके जरिए टैंकों को एक जगह से दूसरी जगहों पर लेकर जाया जा सके और सेना के जवान अरूणाचल प्रदेश पहुंच सके।

    100 KMPH की रफ्तार से दौड़ेंगी गाड़ियां

    दो लाइन के इस पुल का डिजाइन इस प्रकार से किया गया है कि वह 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से गाड़ियां चल सके ताकि तेज आवाजाही हो पाए। समाचार एजेंसी पीटीआई ने असम के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल का हवाला देते हुए लिखा है कि पीएम इसका 26 मई को उद्घाटन करेंगे। सोनोवाल ने कहा, चीन की सीमा के पास इस पुल के बने होने के चलते युद्ध के दिनों में इसकी मदद से तेज़ी से सैन्य सामानों की आवाजाही हो सकेगी।
     

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