राष्ट्रपति ने जताई चिंता कहा - अखाड़े में बदल गई है संसद
मानसून सत्र के हंगामे की भेंट चढ़ जाने पर दुख जताते हुए राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में कहा कि संसद अखाड़े में बदल गई है। संसद में चर्चा से अधिक टकराव हो रहा है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र की संस्थाएं दबाव में हैं ।इस पर राजनीतिज्ञों को सोचना चाहिए।
नई दिल्ली। स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने खिलाड़ियों और सैनिकों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि विकास का लाभ सबसे गरीब तक पहुंचना चाहिए।
मानसून सत्र के हंगामे की भेंट चढ़ जाने पर दुख जताते हुए राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में कहा कि संसद अखाड़े में बदल गई है। संसद में चर्चा से अधिक टकराव हो रहा है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र की संस्थाएं दबाव में हैं ।इस पर राजनीतिज्ञों को सोचना चाहिए।
राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे देश की उन्नति का आकलन हमारे मूल्यों की ताकत से होगा,परंतु साथ ही यह आर्थिक प्रगति तथा देश के संसाधनों के समतापूर्ण वितरण से भी तय होगी। हमारी अर्थव्यवस्था भविष्य के लिए बहुत आशा बंधाती है।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत गाथा के नए अध्याय अभी लिखे जाने हैं। आर्थिक सुधारों पर कार्य चल रहा है। पिछले दशक के दौरान हमारी उपलब्धि सराहनीय रही है;और यह अत्यंत प्रसन्नता की बात है कि कुछ गिरावट के बाद हमने 2014-15 में 7.3 प्रतिशत की विकास दर वापस प्राप्त कर ली है।
परंतु इससे पहले कि इस विकास का लाभ सबसे धनी लोगों के बैंक खातों में पहुंचे, उसे निर्धनतम व्यक्ति तक पहुंचना चाहिए। हम एक समावेशी लोकतंत्र तथा एक समावेशी अर्थव्यवस्था हैं; धन-दौलत की इस व्यवस्था में सभी के लिए जगह है। परंतु सबसे पहले उनको मिलना चाहिए जो अभावों के कगार पर कष्ट उठा रहे हैं। हमारी नीतियों को निकट भविष्य में भूख से मुक्ति की चुनौती का सामना करने में सक्षम होना चाहिए।