Move to Jagran APP

घट रहे गरीब, बढ़ रही बेरोजगारी

चुनावी चिंता में सरकार गरीबी कम होने का दावा भले करे, लेकिन यह भी सच है कि जिस अवधि में गरीबों की संख्या घटी है, उसी दौरान देश में बेरोजगारों की फौज में भी तेज इजाफा हुआ है। खास बात यह है कि जिस दौरान देश में बेरोजगारी बढ़ी है, उस वक्त आर्थिक विकास की रफ्तार सबसे ज्यादा थी।

By Edited By: Published: Thu, 25 Jul 2013 08:25 AM (IST)Updated: Thu, 25 Jul 2013 08:36 AM (IST)
घट रहे गरीब, बढ़ रही बेरोजगारी

नई दिल्ली [जयप्रकाश रंजन]। चुनावी चिंता में सरकार गरीबी कम होने का दावा भले करे, लेकिन यह भी सच है कि जिस अवधि में गरीबों की संख्या घटी है, उसी दौरान देश में बेरोजगारों की फौज में भी तेज इजाफा हुआ है। खास बात यह है कि जिस दौरान देश में बेरोजगारी बढ़ी है, उस वक्त आर्थिक विकास की रफ्तार सबसे ज्यादा थी।

loksabha election banner

योजना आयोग के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2004-05 से वर्ष 2009-10 के बीच देश में गरीबों की संख्या में 4.26 करोड़ की कमी हुई है। मगर जून, 2013 में राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन यानी एनएसएसओ की तरफ से देश में रोजगार व बेरोजगारी की स्थिति पर जारी रिपोर्ट कुछ और कहानी बयान करती है। इसके मुताबिक इस अवधि में (2004-05 से 2009-10 के बीच) देश में रोजगार के अवसरों में 4.6 करोड़ की कमी हुई है। यह वह कार्यकाल है, जब भारतीय अर्थव्यवस्था ने अपने इतिहास की सबसे तेज गति से वृद्धि दर हासिल की है। इन छह वर्षो के दौरान औसत आर्थिक विकास दर 8.4 फीसद रही है।

प्रसिद्ध अर्थशास्त्री और वित्त मंत्रलय के पूर्व आर्थिक सलाहकार राजीव कुमार इसे गरीबों की संख्या कम करने के सरकारी आंकड़ों का सबसे बड़ा विरोधाभास बताते हैं। राजीव के मुताबिक, 'ये आंकड़े तबके हैं जब अर्थव्यवस्था मंदी में नहीं फंसी थी और आर्थिक विकास दर लगातार आठ या नौ फीसद के ऊपर बनी हुई थी। अगर वर्ष 2012-13 और चालू वित्त वर्ष 2013-14 की स्थिति देखी जाए तो रोजगार से बाहर होने वाले व्यक्तियों की संख्या काफी बढ़ेगी। इन दो वर्षो में मंदी आने और निर्यात प्रभावित होने से नौकरियों की संख्या तेजी से कम हुई है।' नौकरियों की संख्या कम होने के पहली बार संकेत फरवरी, 2013 में केंद्र सरकार की तरफ से जारी आर्थिक सर्वेक्षण में दिया गया था।

वित्त मंत्रलय की तरफ से तैयार इस रिपोर्ट में कहा गया था कि देश बेरोजगारी बम पर बैठा है। तेज आर्थिक विकास दर के बावजूद रोजगार के अवसर घट रहे हैं। रिपोर्ट ने वर्ष 2020 तक देश में रोजगार के अवसरों में 28 लाख की भारी कमी का अनुमान लगाया था।

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य डॉ. वीके व्यास ने दैनिक जागरण के साथ बातचीत में स्वीकार किया कि देश में रोजगार रहित विकास हो रहा है। तेज आर्थिक विकास दर का फायदा खास तौर से शहरी क्षेत्र में रोजगार खोजने वालों को नहीं मिल पा रहा है। वीके व्यास के मुताबिक 'सारा निवेश इंफ्रास्ट्रक्चर, सेवा व वित्तीय क्षेत्र में हो रहा है। इसमें रोजगार के बहुत ज्यादा अवसर पैदा नहीं होते। वैसे, विकास दर ऊंची होने से गरीबों की संख्या तो घट रही है, लेकिन रोजगार के अवसर तेजी से नहीं बढ़ रहे।'

मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.