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    नोटबंदी: कंगाल हो चुके शहरी निकाय अब हो गये मालामाल

    By Rajesh KumarEdited By:
    Updated: Thu, 24 Nov 2016 09:55 AM (IST)

    शहरी विकास मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक अब तक कुल 13,192 करोड़ रुपये की जमा बंदी हो चुकी है।

    नई दिल्ली, [सुरेंद्र प्रसाद सिंह]। नोट बंदी में कंगाल हो चुके शहरी निकायों के भाग्य बहुरने लगे हैं। पुराने बंद हो चुके पांच सौ और एक हजार रुपये के नोट जमा करने की छूट मिलने से शहरी निकाय के खजाने लबालब भर गये हैं। अब तक कुल 13 हजार करोड़ रुपये से अधिक की राशि जमा कराई जा चुकी है। इससे शहरों की बदहाली के दूर होने की उम्मीद बढ़ गई है।

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    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नोट बंदी की घोषणा के बाद भी नगर निकायों में बकाया जमा कराने की छूट दी गई। लोगों को नगर निगम में हाऊस टैक्स, पेयजल, सीवर और अन्य तरह के शुल्कों को जमा कराने के लिए पुराने व बंद हो चुके नोटों को जमा कराने की छूट दी गई थी। नतीजतन, लोगों में पुराने पांच सौ और एक हजार के नोट जमा कराने की होड़ लग गई।

    10 नवंबर के बाद बदहाल नगर निकायों के दिन बहुरने लगे। देखते ही देखते मात्र 12 दिनों में कई हजार करोड़ रुपये जमा करा दिये गये। शहरी विकास मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक अब तक कुल 13,192 करोड़ रुपये की जमा बंदी हो चुकी है। जबकि पिछले साल के इसी महीने तक कुल 3607 करोड़ रुपये जमा कराये गये थे। कुल 268 फीसद की वृद्धि दर्ज की गई है।

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    उत्तर भारत के शहरों की हालत में पर्याप्त सुधार दर्ज किया गया है। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में पिछले साल जहां ढाई करोड़ रुपये की आय हुई थी, उसमें इस साल अब तक 27.5 करोड़ रुपये जमा कराये जा चुके हैं। गोरखपुर, झांसी, मेरठ, अलीगढ़, कानपुर, इलाहाबाद, फिरोजाबाद, वाराणसी, मुरादाबाद व आगरा के शहरी निकायों में खजाने में करोड़ों रुपये की धनराशि जमा कराई जा चुकी है। इसी तरह हरियाणा के फरीदाबाद नगर निगम में जहां पिछले साल अब तक छह करोड़ जमा कराये गये थे वह इस साल बढ़कर 13.7 करोड़ रुपये हो चुकी है।

    सूरत नगर निगम में 7.19 करोड़ रुपये के मुकाबले 100 करोड़ रुपये जमा करा दिये गये हैं। एनडीएमसी की जमाबंदी 21.3 करोड़ रुपये के मुकाबले 30 करोड़ हो चुकी है। दिल्ली उत्तरी नगर निगम में 1.5 करोड़ के मुकाबले 19 करोड़, पूर्वी दिल्ली नगर निगम में 2.6 करोड़ की जगह सात करोड़, दक्षिण दिल्ली नगर निगम में 2.2 करोड़ की जगह 16.5 करोड़ रुपये जमा कराये गये हैं।

    बिहार की राजधानी पटना में 21 करोड़ रुपये के मुकाबले 27 करोड़ और झारखंड के धनबाद में 25 लाख के मुकाबले 56 लाख रुपये जमा कराये गये हैं।

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