PoK में सर्जिकल स्ट्राइक की सेना की रणनीति पर हावी नहीं होगी राजनीति
राजनीतिक बढ़त बनाने की कोशिश में इस तरह की मांग के बावजूद सरकार चुप्पी साधे बैठी है तो इसका कारण राष्ट्रीय सुरक्षा है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली: गुलाम कश्मीर में पिछले महीने भारतीय सेना की ओर से किए गए सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर छिड़ी बहस के बीच यह तय है कि इसके सबूत जारी नहीं किए जाएंगे। भारतीय हित और रणनीति इसकी इजाजत नहीं देती है। हां, वक्त आने पर यह जरूर साफ किया जाएगा कि यह अपनी तरह का पहला सर्जिकल स्ट्राइक था और इससे पहले कांग्रेस या किसी और काल में ऐसा नहीं हुआ।
कुछ दलों और नेताओं की ओर से प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से सबूत की मांग की गई है। राजनीतिक बढ़त बनाने की कोशिश में इस तरह की मांग के बावजूद सरकार चुप्पी साधे बैठी है तो इसका कारण राष्ट्रीय सुरक्षा है। पाकिस्तान की ओर से भी उकसाने की कोशिश हो रही है तो सिर्फ इसलिए ताकि वह वीडियो के जरिये भारतीय सेना की रणनीति को भांप कर आगे की तैयारी कर सके।
सूत्रों के अनुसार, जिस तैयारी के साथ सेना ने ऑपरेशन किया, उससे पाकिस्तान सकते में है। लैंडमाइन से बचते हुए सेना न सिर्फ आतंकियों के ठिकाने तक पहुंची बल्कि ऑपरेशन पूरा करने के बाद दूसरे रास्ते से वापस अपनी सीमा में आ गई। पाकिस्तान को इसकी कानोंकान खबर नहीं मिल सकी।
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यही तैयारी और रणनीति पाकिस्तान को डरा रही है। जाहिर है, भारतीय राजनीति में छिड़ी बहस पर पाकिस्तान की नजर है। सबूत जारी नहीं करने का एक कारण यह भी हो सकता है। सूत्र बताते हैं कि पाकिस्तान की ओर से अब शीर्ष स्तर पर तनाव न बढ़ाने का संकेत दिया जा रहा है। ऐसे में कोई सबूत जारी कर भारत भी पाकिस्तानी नेतृत्व को वहां उनलोगों के सामने नहीं झुकाना चाहती है जो तनाव चाहते हैं। आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे पाकिस्तानी राजनीतिज्ञों के रुख को इससे बल मिल रहा है और भारत इसे बढ़ावा देना चाहेगा।
वहीं कांग्रेस काल में हुए सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर किए जा रहे दावों को राजनीतिक तौर पर सवालों में खड़ा किया जा सकता है। एक वरिष्ठ सूत्र के अनुसार, इससे पहले आंतकियों को खदेड़ते हुए नियंत्रण रेखा के पार जाने की घटनाएं हुई हैं लेकिन उन्हें सर्जिकल स्ट्राइक नहीं माना जा सकता है। गौरतलब है कि भाजपा इस स्ट्राइक की सफलता को लेकर जनता तक जाने वाली है। वहीं इन मुद्दों को उठाया जा सकता है।
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