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    'मन की बात' में PM ने बच्चों से कहा,मेरी भी है परीक्षा; हम होंगे सफल

    By Sachin MishraEdited By:
    Updated: Mon, 29 Feb 2016 01:30 AM (IST)

    लोकसभा चुनाव के दौरान युवाओं से संवाद स्थापित करने में सफल रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को बच्चों के मोदी बन गए। ...और पढ़ें

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    नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव के दौरान युवाओं से संवाद स्थापित करने में सफल रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को बच्चों के मोदी बन गए। परीक्षा के दबाव से जूझ रहे बच्चों के साथ खुद को ही नहीं बल्कि देश के कई अन्य स्टारों को जोड़ते हुए उन्होंने सरल भाषा में यह संदेश दे दिया कि सफलता के लिए पहली शर्त है अनुशासन, शांत मन और एकाग्रता।

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    उन्होंने कहा कि सोमवार को वह खुद भी बजट के रूप में देश के सामने परीक्षा देंगे। लेकिन वह आश्वस्त हैं, बच्चे भी खु्रद में विश्वास पैदा करें और लक्ष्य पर ध्यान दें। उनका सार था- अपना आकाश खुद तय करो और उन्मुक्त होकर उंचाई प्राप्त करो। रविवार को प्रधानमंत्री की 'मन की बात' कुछ अलग थी। वह बच्चों से रूबरू थे।

    मन की बात' में बच्चों को दिए सफलता के मंत्र, देखें तस्वीरें

    परीक्षा को लेकर छात्रों के मन में उठने वाली छोटी छोटी भावनाओं का उल्लेख करते हुए पहले उनके साथ तार जोड़े और फिर उन्हें सफलता के टिप्स दिए। इस क्रम में नई बात यह थी कि अपने कार्यक्रम में उन्होंने देश की चार अन्य बड़ी हस्तियों को जोड़ लिया। भारत रत्न क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर व भारत रत्न सीएसआर राव, शतरंज के बादशाह विश्वनाथन आनंद, और धर्म गुरू मोरारजी बापू ने भी मन की बात कार्यक्रम में ही बच्चों को सफलता और एकाग्रता के टिप्स दिए।

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    आधे घंटे के कार्यक्रम में मोदी ने यह ध्यान रखा कि वह खुद को बच्चों के अनुभवों के साथ जोड़कर रखें। बच्चों के बीच हैरी पॉटर की प्रसिद्ध जे के रॉलिंग के भी उदाहरण दिए और इसी क्रम में उन्होंने कहा कि खुद उन्हें भी कई बार सरकार में ऐसे विषय देखने सुनने पड़ते हैं जिसमे ज्यादा एकाग्रता की जरूरत होती है। मन अगर अशांत होता है तो एकाग्रता नहीं बनती है। ऐसे में योग भी एक सहारा है। शांत मन से आंखे बंद कर तीन चार बार गहरी सांसें लेने से मन शांत होता है और विचार स्पष्ट होते हैं। वहीं माता पिता और बच्चों के शिक्षक के लिए यह संदेश था कि न तो अनावश्यक दबाव डालें और न ही अपनी अपेक्षा का बोझ। बल्कि उनके लिए ऐसा वातावरण बनाएं जिसमें वह खुलकर खिल सकें।