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    सार्क सम्मेलन में हिस्सा लेने नहीं जाएंगे पीएम मोदी, पाकिस्तान ने कहा दुर्भाग्यपूर्ण

    By Rajesh KumarEdited By:
    Updated: Wed, 28 Sep 2016 12:43 AM (IST)

    विदेश मंत्रालय ने कहा कि इस्लामाबाद में नवंबर में होनेवाले सार्क सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हिस्सा नहीं लेंगे। पाकिस्तान ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है।

    नई दिल्ली, एएनआई। कश्मीर के उड़ी स्थित सेना मुख्यालय पर आतंकवादी हमले के बाद तल्ख हुए भारत और पाकिस्तान के रिश्ते का असर अब प्रतीत होता दिखाई देने लगा है। एक तरफ जहां सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए इस बात का ऐलान किया है कि इस्लामाबाद में नवंबर में होने जा रहे सार्क सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नहीं जाएंगे। तो वहीं, दूसरी तरफ पाकिस्तान ने भारत के इस फैसले को दुर्भाग्यपू्र्ण करार दिया है।

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    पीएम मोदी के सार्क में ना जाने की घोषणा मंगलवार की रात विदेश मंत्रालय की तरफ से की गई है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरप ने कहा, “भारत ने वर्तमान सार्क अध्यक्ष नेपाल से यह बातें बता दी है कि लगातार सीमापार से बढ़ते आतंकवादी हमले और उसको लेकर रिश्तों में बढ़ती दूरियों के बाद जो स्थिति पैदा हुई है उसके चलते सरकार इस्लामाबाद में प्रस्तावित सार्क सम्मेलन में हिस्सा लेने में असमर्थ है।”

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    सूत्रों के मुताबिक, इस सार्क सम्मेलन में भारत के साथ-साथ अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान भी नहीं भाग लेंगे। गौरतलब है कि 9 और 10 नवंबर को इस्लामबाद में सार्क सम्मेलन होना प्रस्तावित है।

    पाकिस्तान ने कहा- फैसला दुर्भाग्यपर्ण

    उधर, पाकिस्तान ने सार्क सम्मेलन में भारतीय प्रधानमंत्री के शामिल नहीं होने के दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय की तरफ से कहा गया, अभी तक इस बारे में भारत की तरफ से कोई औपचारिक संवाद नहीं मिला है। लेकिन, “भारत की तरफ से की गई ये घोषणा दुर्भाग्यपूर्ण है। पाकिस्तान क्षेत्रीय शांति और सहयोग को लेकर प्रतिबद्ध है और इस क्षेत्र के हितों को लेकर पाकिस्तान लगातार काम करता रहेगा।”

    प्रधानमंत्री के सार्क सम्मेलन में ना शामिल के ऐलान से पहले विदेश मंत्रालय की तरफ से पाकिस्तान के उच्चायुक्त अब्दुल बासित को तलब किया गया और उन्हें उड़ी हमले के सबूत सौंपे गए। इतना ही नहीं, एक दिन पहले ही विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान पर आतंकवाद को पनाह देने का परोक्ष रूप से आरोप लगाते हुए पूरी दुनिया से उसे अलग-थलग करने का आह्वान किया था।

    तो वहीं, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उड़ी में आतंकवादी हमले के बाद सिंधु जल समझौते पर समीक्षा बैठक के दौरान पाकिस्तान को यह कहकर साफ संकेत दे दिया कि लहू और पानी साथ-साथ नहीं बह सकते हैं।

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