Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    सजा काट चुके लालू के राजद अध्यक्ष बने रहने पर उठे सवाल

    By Edited By:
    Updated: Thu, 01 May 2014 11:34 PM (IST)

    पटना [राज्य ब्यूरो]। सजायाफ्ता होने से केवल लालू प्रसाद की लोकसभा सदस्यता ही खत्म नहीं हुई है बल्कि कानूनी तौर वे राष्ट्रीय जनता दल [राजद] के अध्यक्ष भी नहीं रहे और इस पद पर रहते हुए उनके द्वारा पार्टी के सारे निर्णय भी सही नहीं माने जा सकते। उनके द्वारा लोकसभा के लिए टिकट का वितरण भी गलत था। इस तरह के सवाल राजद के बागी विधाय

    पटना [राज्य ब्यूरो]। सजायाफ्ता होने से केवल लालू प्रसाद की लोकसभा सदस्यता ही खत्म नहीं हुई है बल्कि कानूनी तौर वे राष्ट्रीय जनता दल [राजद] के अध्यक्ष भी नहीं रहे और इस पद पर रहते हुए उनके द्वारा पार्टी के सारे निर्णय भी सही नहीं माने जा सकते। उनके द्वारा लोकसभा के लिए टिकट का वितरण भी गलत था।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    इस तरह के सवाल राजद के बागी विधायक सम्राट चौधरी ने पटना हाईकोर्ट मे गुरुवार को एक लोकहित याचिका दायर कर उठाए हैं। याचिका पर पर अगले सप्ताह हाईकोर्ट की दो सदस्यीय खंडपीठ सुनवाई करेगी।

    चौधरी के अधिवक्ता एसबीके मंगलम् ने याचिका में कहा है कि प्रत्येक पार्टी की एक नियमावली होती है। राजद की जो नियमावली है उसे चुनाव आयोग की मान्यता मिली हुई है। उस नियमावली के नियम 21 एवं उपनियम 5 एवं 6 में यह व्यवस्था की गई है कि यदि कोई सदस्य भ्रष्टाचार में लिप्त रहा हो और उसे दोषी भी करार कर दिया गया हो तो उसकी प्रारंभिक सदस्यता स्वयं खत्म हो जाएगी।

    राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के लिए यह बिल्कुल फिट बैठता है। याचिका में यह भी कहा गया है कि संघ के पद धारकों का चुनाव सिर्फ सदस्यों के बीच से होगा। ऐसी हालत में जब लालू प्रसाद राजद की प्राथमिक सदस्यता रखने की योग्यता नहीं रखते हैं तो वे राट्रीय अध्यक्ष कैसे बन सकते हैं। फिर चुनाव आयोग ने किस आधार पर चुनाव चिह्न प्रदान कर राजद को मान्यता प्रदान कर दी? याचिका में सुप्रीम कोर्ट के कुछ फैसले का भी जिक्त्र किया गया है। याचिकाकर्ता ने चुनाव आयोग से भी इसकी लिखित शिकायत की है।