फिर तय होंगे गरीबी के मानक
योजना आयोग देश में गरीबी रेखा तय करने वाले मानदंडों की समीक्षा के लिए तीन महीने में विशेषज्ञ समूह गठित करेगा। यह निर्णय ऐसे समय लिया गया, जब शहरी क्षेत्रों में प्रतिदिन 28.65 रुपये खर्च करने वालों को गरीबी रेखा से ऊपर मानने की रिपोर्ट की जमकर आलोचना हो रही है। साथ ही इसे जारी करने की वजह से योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया को हटाने की माग उठ रही है।
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। योजना आयोग देश में गरीबी रेखा तय करने वाले मानदंडों की समीक्षा के लिए तीन महीने में विशेषज्ञ समूह गठित करेगा। यह निर्णय ऐसे समय लिया गया, जब शहरी क्षेत्रों में प्रतिदिन 28.65 रुपये खर्च करने वालों को गरीबी रेखा से ऊपर मानने की रिपोर्ट की जमकर आलोचना हो रही है। साथ ही इसे जारी करने की वजह से योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया को हटाने की मांग उठ रही है।
योजना राज्यमंत्री अश्विनी कुमार ने संवाददाताओं को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि सरकार ने गरीबी रेखा तय करने की प्रणाली की समीक्षा के लिए तकनीकी समूह गठित करने का फैसला किया है। यह समूह ऐसी प्रणाली बनाने के लिए सुझाव देगा, जो मौजूदा वास्तविकताओं के हिसाब से गरीबी का आकलन कर सके। तकनीकी समूह को वर्ष 2011 के जनगणना आंकड़ों का लाभ मिलेगा। इससे सरकार देश में गरीबी के आंकड़ों की सार्थक समीक्षा कर सकेगी। समूह का गठन अगले तीन महीने में कर दिया जाएगा। इसके लिए सरकार ने दिसंबर, 2011 में फैसला किया था।
आयोग के अनुमानों के अनुसार वर्ष 2009-10 में गरीबी अनुपात 29.8 प्रतिशत रहा था। यह वर्ष 2004-05 में 37.2 प्रतिशत था। यह आकलन शहर में प्रतिदिन प्रति व्यक्ति खपत 28.65 रुपये तथा ग्रामीण इलाकों में 22.42 रु प्रति दिन के हिसाब से किया गया है।
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष मुलायम सिंह ने बुधवार को लोक सभा में गरीबी रेखा के ताजा आंकड़ों पर नाराजगी जताते हुए योजना आयोग के उपाध्यक्ष को हटाने की मांग की थी। जदयू, भाजपा समेत अन्य राजनीतिक दलों की तरफ से भी योजना आयोग के आंकड़ों पर कड़ी आपत्तिजताई गई है।
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