जनधन खातों से मोह भंग, नोटबंदी के बाद पहली बार घटी जमा रकम
सरकार के कुछ कड़े फैसलों के बाद जनधन खातों में जमा रकम में कमी देखने को मिल रही है।
नितिन प्रधान, नई दिल्ली। नोटबंदी के बाद जिन जनधन खातों में जमा रकम बेतहाशा बढ़ी थी, उनमें पहली बार कमी देखी गई है। 14 दिसम्बर को खत्म हुए सप्ताह के दौरान जन धन खातों की संख्या तो बढ़ी, लेकिन जमा रकम में पौने पांच सौ करोड़ रुपये से भी ज्यादा की कमी आयी।
नोटबंदी के बाद चर्चा में जन धन खाते
नोटबंदी के बाद से ही जनधन खाते चर्चा में रहे हैं। खुद सरकार ने भी माना कि इन खातों का इस्तेमाल काले धन को सफेद बनाने में किया जा रहा है। पहले पंद्रह दिनों में जब 27 हजार करोड़ रुपये जनधन खातों में जमा हुए, तब इन खातों के बारे में पहली बार खुलासा हुआ कि इनका इस्तेमाल नोटबंदी में पुरानी करेंसी बदलने के लिए हो रहा है। अगस्त 2014 में योजना शुरु होने के बाद और नौ नवम्बर 2016 तक जन धन खातों में कुल बकाया लगभग 45 हजार करोड़ रुपये था। तकनीकी तौर पर जन धन खातों में 50 हजार रुपये से ज्यादा एक साल में जमा नहीं कराया जा सकता। इसीलिए जब जन धन खातों में खूब पैसा आने लगा तो सरकार के कान खड़े हुए। उसके बाद ही इन खातों में कालेधन के प्रवेश पर रोक लगाने के उपाय किए गए।
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जनधन खातों में जमा राशि में कमी दर्ज
जनधन खातों में नोटबंदी के बाद जमा हुए धन के प्रवाह को देखें तो पहले पांच दिनों के भीतर साढ़े 18 हजार करोड़ रुपये से भी ज्यादा की राशि इन खातों में आई। लेकिन उसके अगले दस दिनों में साढ़े आठ हजार करोड़ रुपये आए। इसी के बाद सरकार ने सख्ती का ऐलान किया। इसके तहत जन धन खातों से एक महीने में 10 हजार रुपये से ज्यादा राशि निकालने पर रोक लगाई गई। यह सुविधा भी केवल उन्हीं खातों को दी गई जो केवाईसी यानी नो योर कस्टमर के मानकों को पूरा करते हो।
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इसके अतिरिक्त जो खाते केवाईसी के मानकों पर खरे नहीं उतरते, वहां 9 नवम्बर के बाद जमा करायी रकम में से हर महीने 5000 रुपये ही निकालने की सीमा लगाई गई है। दूसरी ओर आयकर विभाग ने कहा कि यदि ये साबित हो जाता है कि खाते में जमा पैसा खाताधारक का नहीं, बल्कि किसी और का है तो ऐसे मामलें कर चोरी के मामले माने जाएंगे। इस पर आयकर और जुर्माना लगेगा। इस काम में जिस किसी ने भी अपने खाते के इस्तेमाल की इजाजत दी है, उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई का प्रावधान भी रखा गया है।
नए नियमों के बाद लगी लगाम
नवम्बर के अंत में इन नियमों के ऐलान के बाद जनधन खातों के दुरुपयोग पर काफी हद तक लगाम लगी और बकाया रकम में लगातार कमी होती गयी। और अब हाल ये है कि 14 दिसम्बर को खत्म हुए सप्ताह के दौरान खातों की संख्या 16 लाख बढ़ी, लेकिन बकाया जमा 74609 करोड़ रुपये से घटकर 74123 करोड़ रुपये रह गयी। अधिकारियों की मानें तो अभी अगले कुछ समय तक यही चलन बना रहेगा, हालांकि पैसा निकालने की रफ्तार काफी धीमी रहेगी, क्योंकि रिजर्व बैंक ने जमा के नियम सख्त कर रखे हैं।
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