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    पीडीएस को इंदिरा का नाम देने की तैयारी

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    Updated: Thu, 17 Oct 2013 01:37 AM (IST)

    केंद्र सरकार सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) को इंदिरा गांधी के नाम से जोड़ने की तैयारी कर रही है। दरअसल, सरकार चाहती है कि विपक्षी दल किसी भी तरह से ...और पढ़ें

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    नई दिल्ली। केंद्र सरकार सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) को इंदिरा गांधी के नाम से जोड़ने की तैयारी कर रही है। दरअसल, सरकार चाहती है कि विपक्षी दल किसी भी तरह से राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून का श्रेय न ले पाएं। केंद्रीय खाद्य मंत्री केवी थॉमस ने बताया कि निर्धारित सार्वजनिक वितरण प्रणाली का नाम बदलने के लिए पेश किए गए एक प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है।

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    थॉमस ने बताया कि प्रणाली के नए नाम पर 'इंदिराम्मा अन्न योजना' और 'अन्नापूर्णा योजना' जैसे कई सुझाव आ रहे हैं। हालांकि अब तक इस पर अंतिम फैसला नहीं किया गया है। कांग्रेस के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार का मानना है कि योजना के साथ पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का नाम जुड़ा होने से लोकसभा चुनाव में पार्टी की गरीबोन्मुख छवि को काफी फायदा मिलेगा। संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी की महत्वाकांक्षी योजना खाद्य सुरक्षा कानून को 1971 में इंदिरा गांधी के 'गरीबी हटाओ' अभियान के अगले चरण के तौर पर पेश किया गया था।

    थॉमस ने स्पष्ट किया कि कानून का नाम बदलने के लिए संशोधन करना पड़ेगा। लिहाजा योजना का नाम बदला जाएगा, न कि कानून का। पीडीएस का नाम बदलने के साथ ही केंद्र सरकार योजना की पहुंच बढ़ाने के लिए एक प्रतीक चिन्ह तैयार करने पर भी विचार कर रही है। पिछले महीने संसद ने 67 फीसद आबादी को भोजन का अधिकार देने वाले कानून को पारित कर दिया था।

    कांग्रेसनीत दिल्ली, उत्तराखंड, हरियाणा, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश पहले ही खाद्य सुरक्षा कानून लागू कर चुके हैं, जबकि कुछ अन्य राज्य इसकी तैयारी में जुटे हैं।

    अब तक 450

    केंद्र सरकार की 12 योजनाएं-परियोजनाएं पहले से ही राजीव, इंदिरा या नेहरू के नाम से हैं। इसके अलावा विभिन्न राज्यों में राजीव, इंदिरा और नेहरू के नाम से योजनाओं-परियोजनाओं की संख्या 52 है। इन्हीं नामों वाले विश्वविद्यालय और शैक्षिक संस्थान 98 हैं। एयरपोर्ट और बंदरगाह छह हैं। अवा‌र्ड्स, स्कॉलरशिप और फेलोशिप 66 हैं। खेल प्रतियोगिताएं, ट्राफी और स्टेडियम 47 हैं। लेखक ए. सूर्यप्रकाश के अनुसार राष्ट्रीय पार्क, अस्पताल, शोध व वैज्ञानिक संस्थान, उत्सव, सड़कों, भवनों आदि को मिला दें तो कुल संख्या 450 पार कर जाती है। गांधी-नेहरू के नाम पर नामकरण के इस सिलसिले के खिलाफ वह चुनाव आयोग का दरवाजा भी खटखटा चुके हैं।

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