रिम्स का डॉक्टर निकला आतंकी हैदर का सहयोगी
पटना व गया के सीरियल बम ब्लास्ट में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) को लगातार सफलताएं मिल रही हैं। बुधवार रात इंडियन मुजाहिदीन के चार आतंकियों की निशानदेही पर एनआइए ने दो डॉक्टरों को भी रांची के इदरिश लॉज से हिरासत में लिया, लेकिन उन्हें दूसरे दिन ही छोड़ दिया गया। एनआइए दोनों के आतंकी संबंधों की पुख्ता जांच व सुबूत मिलने के बाद ही उनकी गिरफ्तारी करेगी।
रांची, जागरण संवाददाता। पटना व गया के सीरियल बम ब्लास्ट में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) को लगातार सफलताएं मिल रही हैं। बुधवार रात इंडियन मुजाहिदीन के चार आतंकियों की निशानदेही पर एनआइए ने दो डॉक्टरों को भी रांची के इदरिश लॉज से हिरासत में लिया, लेकिन उन्हें दूसरे दिन ही छोड़ दिया गया। एनआइए दोनों के आतंकी संबंधों की पुख्ता जांच व सुबूत मिलने के बाद ही उनकी गिरफ्तारी करेगी।
हिरासत में लिया गया एक डॉक्टर आइएम के प्रमुख आतंकी हैदर अली उर्फ ब्लैक ब्यूटी का सहयोगी निकला। रांची के बरियातू थाना क्षेत्र स्थित इदरिश लॉज में बुधवार रात हुई छापेमारी में जांच एजेंसी को बम बनाने के सामान, विस्फोटक, टाइमर, बूस्टर्स, तार आदि मिले हैं। जबकि एक लैपटॉप मिला। जिससे आतंकी गतिविधियों का खाका तैयार किया जाता था। हिरासत में लिए गए डॉक्टरों में सैय्यद एजाज हाशमी व शोएब अख्तर शामिल हैं। डॉ. सैय्यद हाशमी अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से एमबीबीएस हैं और रांची स्थित रिम्स मेडिकल कॉलेज से स्नातकोत्तर कर रहे हैं। वह ओरमांझी स्थित एक बड़े अस्पताल में प्रैक्टिस भी करते हैं। हाशमी का आइएम आतंकी हैदर से सीधा संबंध है। जबकि डॉ. शोएब अख्तर मूल रूप से धनबाद के मैथन के रहने वाले हैं और यूनानी चिकित्सक हैं। इदरिश लॉज के जिस कमरे में डॉ. शोएब को पकड़ा गया, वहां से जांच एजेंसी को लैपटॉप मिला है। जो हैदर अली का है। जबकि डॉ हाशमी के कमरे से बम बनाने के सामान, बूस्टर्स, तार व टाइमर आदि मिले हैं। एनआइए पूछताछ में यह बात सामने आई है कि हैदर ने ही डॉ. हाशमी को अपना लैपटॉप दिया था और हाशमी ने इसे अपने मित्र शोएब को दे दिया। लैपटॉप से विस्फोट की साजिश रची जाती थी और ग्राफिक्स तैयार किया जाता था।
हैदर ने खोले राज
मंगलवार शाम रांची के खादगढ़ा बस स्टैंड से आइएम आतंकी मुजिबुल्लाह व हैदर अली पकड़े गए थे। हैदर आतंकियों का बम विशेषज्ञ है और उसके ही बनाए गए बम से पटना व गया में सीरियल बम ब्लास्ट किए गए थे। हैदर की निशानदेही पर ही शहर के विभिन्न थाना क्षेत्रों में छापेमारी चल रही है। रांची के एक वरिष्ठ पुलिस पदाधिकारी ने बताया कि फिलहाल दोनों चिकित्सकों को एनआइए ने छोड़ दिया है, लेकिन सूचना सत्यापन व साक्ष्य संकलन जारी है। पुख्ता साक्ष्य होने के बाद ही दोनों की गिरफ्तारी सुनिश्चित होगी।
प्रेमिका के साथ समीर नाम से रहता था यासिन भटकल
रांची। आइएम सरगना यासिन भटकल अपनी प्रेमिका के साथ रांची के लोअर बाजार थाना क्षेत्र की नेताजी कॉलोनी में किराये के मकान में समीर नाम से रहता था। उसके पड़ोस में ही पटना ब्लास्ट का मास्टरमाइंड तहसीन अख्तर उर्फ मोनू, आशीष नाम से रहता था। इसका खुलासा तहसीन ने एनआइए पूछताछ में किया है। एजेंसी ने उस मकान की तलाशी भी ली, लेकिन कुछ नहीं मिला। तहसीन ने बताया कि अक्टूबर 2002 से दिसंबर 2012 तक भटकल अपनी प्रेमिका के साथ यहां रहा। प्रेमिका की पहचान वह अपनी रिश्तेदार और पॉलीटेक्निक की छात्रा के रूप में कराता था, जो बोकारो की रहने वाली थी। जांच एजेंसी उस लड़की की तलाश कर रही है।
तोगड़िया भी निशाने पर
भाजपा के वरिष्ठ नेता नरेंद्र मोदी के बाद विश्व हिंदू परिषद के अतंरराष्ट्रीय अध्यक्ष प्रवीण तोगड़िया आतंकियों के हिट लिस्ट पर हैं। रांची के बरियातू थाना क्षेत्र स्थित इदरिश लॉज से बरामद लैपटॉप से जांच एजेंसियों को जानकारी मिली है। बताया जा रहा है कि इस लिस्ट में अन्य कई दिग्गज नेताओं का भी नाम है। बृहस्पतिवार को एनआइए की टीम ने सेवानिवृत डीएसपी मुहम्मद इमरान के डोरंडा थाना क्षेत्र स्थित परसटोली के घर पर दबिश दी। लेकिन घर बंद मिलने से टीम वापस लौट गई। पटना ब्लास्ट के बाद पकड़े गए आतंकी इम्तियाज ने खुलासा किया था कि डीएसपी के आवास पर हैदर, नुमान और वह अन्य लोगों के साथ मिलते थे। डीएसपी का बेटा विदेश में रहता था। डीएसपी अपने बेटे के पास चले गए।
नए आतंकियों को तैयार करने की जिम्मेदारी
हैदर ने बताया कि आतंकी गुट ने उसे नए लड़कों को भर्ती करने की जिम्मेदारी सौंपी थी। इसके तहत रांची में सबसे पहले उसकी मुलाकात धुर्वा के सिठियो निवासी इम्तियाज से हुई थी। उसके माध्यम से उसका नाबालिग भतीजा सिठियो निवासी नुमान, तारिक से मिला। इन सभी की ओरमांझी के मुजिबुल्लाह से मुलाकात हुई। सभी को उसने आतंकी साहित्य का पाठ पढ़ाया और जेहाद के लिए तैयार किया। फिलहाल इसकी जांच की जा रही है।
बम बनाने की ट्रेनिंग देता था तहसीन
हैदर ने यह भी बताया कि उसके द्वारा बहाल किए गए युवकों को बम बनाने और उसके इस्तेमाल का प्रशिक्षण बिहार के समस्तीपुर का तहसीन अख्तर उर्फ मोनू देता था। इसके लिए रांची के सिठियो स्थित पहाड़ के अलावा रामगढ़ और पलामू के घने क्षेत्रों का समय-समय पर इस्तेमाल किया गया था। हालांकि, सुरक्षाबल और खुफिया एजेंसियां फिलहाल इस मामले से जुड़े अन्य सूत्रों को तलाशने में जुटी हुई हैं।
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