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पठानकोट हमले के आतंकियों के पास थी सभी रास्तों की जानकारी

पठानकोट एयरबेस पर हुए हमले के बाद एक बार फिर से पाकिस्‍तान की ओर इस हमले को लेकर अंगुली उठने लगी हैं। इस हमले को अंजाम देने वाले आतंकियों के पास एयरबेस के आसपास की पूरी पुख्‍ता जानकारी थी। इसके अलावा इस दौरान सुरक्षाबलों के बीच आपसी तालमेल की कमी

By Kamal VermaEdited By: Published: Sun, 03 Jan 2016 08:20 AM (IST)Updated: Sun, 03 Jan 2016 09:09 AM (IST)

पठानकोट (श्याम लाल, सुनील थानेवालिया, )। एयरफोर्स स्टेशन पर हमला करने वाले चारों आतंकवादियों की घुसपैठ पठानकोट सीमा से होने के संकेत मिले हैं। आतंकवादी पाकिस्तान के बहावलपुर से प्रशिक्षण लेने के बाद भारत के नरोज जैमल क्षेत्र में घुसे थे। समझा जा रहा है कि ये सभी अंतराष्ट्रीय सीमा से बमियाल होकर खड़कड़ा ठूठोवाल से होते हुए गांव कोलिया अड्डे के पास पहुंचे थे। 31 दिसंबर की रात इन आतंकवादियों ने यहां इकागर सिंह की हत्या कर उसकी इनोवा कार छीन ली। रास्ते में पंचर होने के बाद कार दुर्घटनाग्रस्त भी हो गई।

इसके बाद आतंकियों ने कार वहीं छोड़ दी और वहां एसपी सलविंदर सिंह की गाड़ी मिल गई और उन्होंने इसे अपने कब्जे में ले लिया। इसी गाड़ी में सवार होकर वह कुठाणा चौक से कोटली और कोटली से एयरफोर्स स्टेशन के पीछे स्थित गांव अकालगढ़ के खेतों में गए। कोटली पठानकोट-गुरदासपुर नेशनल हाईवे पर स्थित है। यहां से अकालगढ़ जाने के लिए यूं तो तीन रास्ते हैं परंतु सबसे साफ और आसान रास्ता वाया धीरा ही कहा जा सकता है। चारों आतंकी जिस प्रकार सहज भाव से दो दिन तक पठानकोट जिले में घूमते रहे उसे देखते हुए कहा जा सकता है कि उन्होंने पूरे क्षेत्र की अछे ढंग से रेकी की थी।

सेना से सूचनाएं साझा करने से कतराती रही पंजाब पुलिस

पठानकोट एयरफोर्स बेस पर आत्मघाती हमले से पहले की सूचनाएं समय पर सेना के साथ साझा करने से कतराती रही पंजाब पुलिस। हमले से लगभग 24 घंटे पहले से आतंकवादी पहुंच चुके थे। उनके बारे में एसपी रैंक के एक भुक्तभोगी अफसर ने भी जानकारी दी मगर पंजाब पुलिस और उसकी खुफिया विंग इससे आगे नहीं बढ़ सकी।

गौरतलब है कि करीब पांच माह पूर्व दीनानगर पुलिस थाने पर आतंकी हमले में पंजाब पुलिस ने आतंकियों का बहादुरी से मुकाबला कर उन्हें 11 घंटे चली भीषण मुठभेड़ में मार गिराया था। तब भी उसने सेना या एनएसजी की सेवाएं लेने से साफ इन्कार कर दिया था। अकेले काम करके वाहवाही लूटने की जिद में वह इस बार भी पूरा दिन सेना के साथ सूचनाएं साझा करने से परहेज करती रही।

एसपी सलविंदर सिंह के बयानों पर भरोसा करने की बजाय वह पूछताछ में जुटी रही। एसपी और उनके साथी बता रहे थे कि सेना की वर्दी पहने एके-47 से लैस लोगों ने ही उनका अपहरण किया था। इसके बाद पहली जनवरी को देर सायं जाकर जब उसने सेना के साझा सर्च ऑपरेशन में मदद मांगी तब तक काफी देर हो चुकी थी। इसके बाद ही इंटेलीजेंस ब्यूरो, सेना और वायुसेना सतर्क हुए।

दीनापुर जैसा ही था पठानकोट हमला

27 जुलाई 2015 को दीनानगर पर हुए हमले के बाद अब आत्मघातियों ने पठानकोट एयरबेस को अपना निशाना बनाया है। दोनों हमलों का तरीका एक सा है। दीनानगर हमले में एक एसपी सहित चार जवान शहीद हुए थे, जबकि तीन सिविलियन भी मारे गए। करीब 12 घंटे तक आतंकवादियों और सुरक्षा एजेंसियों की बीच हुई मुठभेड़ के बाद तीन आतंकियों को भी मार गिराया गया था। अब आतंकियों द्वारा पठानकोट एयरबेस को निशाना बनाया गया। समान बात यह रही कि आतंकवादियों ने दोनों हमलों में एक ही रूट भारत में दाखिल होने के लिए चुना।

दीनानगर हमले में भी आतंकियों ने सीमा से पैदल घुस आने के बाद पहले एक बस को अगवा करने का प्रयास किया और फिर थाने में घुसे। इस हमले से एक दिन पहले भी उन्होंने दो गाड़ियों को अगवा किया। भारत में पैदल घुसे। दीनानगर में घुसे आतंकी भी सेना की वर्दी में थे और यहां भी। दोनों जगह हमले का समय भी सुबह था।

पठानकोटजैसे हमले की सबको थी आशंका

पठानकोट आतंकी हमले के पीछे पाकिस्तानी सेना और आइएसआइ के हाथ होने की आशंका ऐसे ही नहीं जताई जा रही। विदेशी मीडिया को भी पहले से ही ऐसी आशंका थी। न्यूयॉर्क टाइम्स ने ओपीनियन पेज पर शनिवार को ही संपादकीय छापा है: ‘इंडिया एंड पाकिस्तान ट्राइ अगेन।’ इसमें पाकिस्तान के साथ बेहतर संबंध बनाने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कोशिश का जिक्र करते हुए कहा गया है कि पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ अपने वादों को निभा पाएंगे, इसमें संदेह ही है। इसमें देश के नागरिक नेतृत्व पर सेना की पकड़ और भारत के साथ संबंध बनाने के प्रयासों को सफल न होने देने की उसकी कोशिशों के बारे में बताते हुए संबंध बहुत दूर तक न सुधरने की आशंका भी प्रकट की गई है।

इसमें कहा गया है कि अमेरिकी अधिकारियों को भरोसा है कि पाकिस्तानी सेना तालिबान से निबटने में सक्रिय होगी लेकिन दूसरे विशेषा इससे इत्तफाक नहीं रखते। गार्जियन और संडे मेल ने भी वाशिंगटन में विल्सन सेंटर थिंक टैंक में दक्षिण एशिया विशेषा माइकेल कुंगलमैन का एक उद्धरण प्रमुखता से दिया है। माइकेल का कहना है कि ‘मोदी जिस क्षण लाहौर पहुंचे (और संभवत: उससे पहले ही) हमला होने की आशंका बन गई थी।’ लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच जिस तरह का सद्भाव बन गया है, उसमें इस प्रकार के हमले से निबटने की पूरी संभावना है।

उन्होंने यह उम्मीद भी जताई कि बातचीत को विफल करने का षड्यंत्र रचने वाले लोग इस दफा सफल नहीं हो पाएंगे। बीबीसी ने भी कहा है कश्मीर में आतंक फैलाने की कोशिश करते रहने वाले संगठन जैश-ए-मुहम्मद का इसमें हाथ हो सकता है जो पाकिस्तान से संचालित होता है। लगभग सभी पाकिस्तानी वेबसाइट्स ने भी पठानकोट हमले की खबर प्रमुखता से दी है। लेकिन, उन्होंने पाकिस्तानी विदेश मंत्रलय के उस बयान को प्रमुखता दी है जिसमें इस घटना की निंदा की गई है।

पठानकोट हमला: कब क्या हुआ

शनिवार तड़के 2.50 बजे : सेना की वर्दी में 5-6 आतंकी एयरफोर्स बेस में दीवार फांद कर दाखिल हुए और सबसे पहले ग्रेनेड फेंके।
2.55 बजे : आतंकियों ने फायरिंग शुरू की और सुरक्षा बलों ने भी जवाबी कार्रवाई आरंभ की।
4.40 बजे : पहले आतंकी को सुरक्षा बलों ने मार गिराया।
5.00 बजे : दो जवानों के शहीद होने की बात सामने आई और एनएसजी ने मोर्चा संभाला।
5.25 बजे : दूसरा आतंकी ढेर किया गया।
8.30 बजे : एक सिविलियन को गोली लगी। इलाज के लिए सिविल अस्पताल भेजा गया।
9.20 बजे : आतंकियों और सेना के बीच फायरिंग थमी।
11.30 बजे : नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) की टीम पठानकोट एयरबेस पहुंची।
11.40 बजे : पंजाब पुलिस की स्वाट टीम ने नलवा नाले की ओर से घेराबंदी की।
11.45 बजे : एयरफोर्स बेस के भीतर फिर से फायरिंग शुरू हुई।
11.47 बजे : शहीद होने वाले जवानों की संख्या बढ़कर तीन हुई।
दोपहर बाद 12.20 बजे : एयरबेस के पीछे गुरुद्वारा अकालगढ़ के पास ग्रेनेड हमला किया गया।
12.40 बजे : सेना ने ड्रोन व हेलीकाप्टर के जरिए सर्च अभियान शुरू किया गया।
12.55 बजे : बचे आतंकियों के साथ मुठभेड़ जारी।
2.00 बजे : आतंकियों ने एयरफोर्स बेस की पिछली तरफ ग्रेनेड फेंका।
अपराह्न 3.00 बजे : एडीजीपी एचएस ढिल्लों ने मीडिया को बयान दिया कि दोनों ओर से मुठभेड़ समाप्त हो गई है।
3.30 बजे : दोबारा फायरिंग शुरू।
6.30 पांचवां आतंकी ढेर और ऑपरेशन खत्म।


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