सांप्रदायिकता की ढपली बजाने से बाज आए कांग्रेस
नई दिल्ली [राजकिशोर]। बदले हुए पालों के साथ लोकसभा की पहली नियमित बैठक में विचारधारा और निष्ठाएं भी पूरी तरह बदली नजर आईं। कभी संप्रग सरकार की तरफ से भाजपा को सांप्रदायिक बताकर हमला करते रहे लोजपा सुप्रीमो और केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान नरेंद्र मोदी सरकार के सबसे पहले पैरोकार के रूप में उभरे। उन्होंने न सिर्फ मोदी सरकार का
नई दिल्ली [राजकिशोर]। बदले हुए पालों के साथ लोकसभा की पहली नियमित बैठक में विचारधारा और निष्ठाएं भी पूरी तरह बदली नजर आईं। कभी संप्रग सरकार की तरफ से भाजपा को सांप्रदायिक बताकर हमला करते रहे लोजपा सुप्रीमो और केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान नरेंद्र मोदी सरकार के सबसे पहले पैरोकार के रूप में उभरे। उन्होंने न सिर्फ मोदी सरकार का बचाव किया, बल्कि कांग्रेस और उसकी अध्यक्ष सोनिया गांधी पर पैने सियासी तीर छोड़े।
उन्होंने राजग को मिले जनमत का हवाला दिया और तंज कसा कि जनता के फैसले का सम्मान करना चाहिए तथा कांग्रेस व विपक्ष को सांप्रदायिकता की ढपली बजाने से बाज आना चाहिएखास बात यह थी कि कांग्रेस अकेले इसका प्रतिकार भी नहीं कर पा रही थी और पश्चिम बंगाल में कांग्रेस के खिलाफ लड़कर सदन में पहुंचे तृणमूल कांग्रेस सांसद ही विपक्ष की बेंचों से सत्तापक्ष से लोहा लेते दिखे।
राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा की शुरुआत भाजपा सांसद राजीव प्रताप रूड़ी ने की, लेकिन उसका अनुमोदन करने के लिए खड़े हुए पासवान वास्तव में सियासी स्कोर करने में सफल रहे। उन्होनें चुनाव से पहले गठबंधन के लिए इंतजार कराती रहीं कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से संसद में पहले ही दिन हिसाब चुकता कर लिया। गोधरा-गोधरा दंगों का शोर मचाने और चौरासी, भागलपुर से लेकर मुजफ्फरनगर दंगों को भूल जाने पर उन्होंने विपक्ष पर सवाल उठाए और कहा कि आखिर गुजरात को क्यों नहीं भूलते?
इस दौरान कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी खड़े हुए तो पासवान ने उनको यह कहकर चुप कर दिया, 'हम 1977 से सदन में हैं और फर्स्ट इयर के स्टूडेंट समझते हैं कि कॉलेज उनका हो गया।' पासवान की चुटकी के बाद कांग्रेसी बैठे, लेकिन तृणमूल कांग्रेस के सुल्तान अहमद, कल्याण बनर्जी और सौगत राय मोर्चा संभालते रहे, लेकिन मोदी के समर्थन और कांग्रेस पर प्रहार का कोई मौका लोजपा सुप्रीमो नहीं चूके।
फिर कांग्रेस ने शोर मचाया तो पासवान ने सोनिया पर तंज कसा, 'अरे नरेंद्र मोदी के नाम पर हमको वोट मिला और आपको सोनिया के नाम पर नहीं मिला तो सच्चाई को स्वीकार कीजिए।' इस दौरान सोनिया के चेहरे पर कई भाव एक साथ गुजरे और वह चुपचाप बस पासवान की तरफ देखती रह गईं। इधर, पासवान बख्शने के मूड में बिल्कुल नहीं थे।
बेटे चिराग को टिकट देने को लेकर जब पासवान पर जुमला उछला तो उन्होंने बहुत ही तीखे अंदाज में ऐसा जवाब दिया कि विपक्ष फिर कुछ बोल ही नहीं सका। पासवान ने कहा, 'सोनिया गांधी जब राहुल को लाएं और मुलायम सिंह अखिलेश को लाएं तो किसी को दिक्कत नहीं। एक दलित का बेटा अपनी औलाद को लाए तो आप सबको बड़ा दर्द हो रहा है।'
इसके साथ ही दलित एजेंडा भी उन्होंने बढ़ाया और कहा कि पिछली बार वाजपेयी सरकार ने संविधान में संशोधन कर दलितों को प्रोन्नति में आरक्षण दिया था, लेकिन 10 वर्ष में संप्रग सरकार यह नहीं कर सकी।
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