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    चीन की नई सेना की ताकत देखने जाएंगे पर्रिकर

    By Sanjeev TiwariEdited By:
    Updated: Fri, 15 Apr 2016 06:28 AM (IST)

    भारत के रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर 17 अप्रैल से चीन के पहले दौरे पर जा रहे हैं। इस दौरान वह हाल ही में चेंगदू में बने वेस्ट थिएटर कमांड में भी जाएंगे।

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    नई दिल्ली। भारत के रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर 17 अप्रैल से चीन के पहले दौरे पर जा रहे हैं। इस दौरान वह हाल ही में चेंगदू में बने वेस्ट थिएटर कमांड में भी जाएंगे। अब चीन इसी कमांड से लद्दाख से लेकर अरुणाचल तक पूरे भारत पर नजर रखने का काम करेगा।

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    इस लिहाज से पर्रिकर का दौरा भारत के लिए काफी अहम है। पर्रिक्कर के साथ डिफेंस सेक्रेट्री जी मोहन कुमार, पश्िचमी नौसेना कमांड के प्रमुख वाइस एडमिरन सुनील लनबा, भारतीय वायु सेना के वाइस चीफ एयर मार्शल बीएस धनोआ सहित उच्च स्तरीय प्रतिनिधि मंडल जाएगा।

    दरअसल, भारत से दोगुनी बड़ी सेना रखने वाला चीन अपनी 23 लाख की सेना को पुनर्गठित कर रहा है, ताकि इसे युद्ध और आवागमन के लिए बेहतर किया जा सके। इसके तहत वह सभी सशस्त्र सेनाओं को एक ज्वाइंट ऑपरेशन मिलिट्री कमांड के तहत ला रहा है।

    इसके साथ ही वह पुराने सात सैन्य क्षेत्रों को बेहतर ज्वाइंट ऑपरेशन के लिए पांच रणनीतिक जोन्स में बदल रहा है। पहले भारत की सीमा पूर्व में चीन के चेंगडू सैन्य क्षेत्र और उत्तर में लैंझोऊ सैन्य क्षेत्र से लगती थी। इसके अलावा 4057 किमी लंबी लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) थी, जिसे अब वेस्ट थिएटर कमांड देखेगा।

    भारत और अमेरिका ने मंगलवार को ही वॉरशिप और एयरक्राफ्ट के लिए एक-दूसरे के ऑपरेशनल लॉजिस्टिक इस्तेमाल करने के लिए समझौता करने की घोषणा की थी। इसके तत्काल बाद पर्रिकर का चीन दौरा बेहद अहम माना जा रहा है।

    पर्रिकर अपने दौरे में 2013 के द्विपक्षीय सीमा सुरक्षा सहयोग समझौते को प्रभावी तौर पर लागू करने और भारत-पाकिस्तान की तरह भारत-चीन के डीजीएमओ स्तर के रक्षा अधिकारियों के बीच प्रस्तावित हॉटलाइन पर भी चर्चा करेंगे। वह इस दौरे पर चीनी राष्ट्रपति, रक्षा मंत्री और सैन्य अधिकारियों के अलावा भारतीय व्यापारियों से भी मिलेंगे।

    आतंकियों पर प्रतिबंध के खिलाफ गुप्त वीटो की भारत ने की निंदा
    चीन का नाम लिए बगैर भारत ने संयुक्त राष्ट्र में "गुप्त वीटो" के इस्तेमाल की निंदा की और इसके लिए जवाबदेही तय करने की मांग की। जैश प्रमुख मौलाना मसूद अजहर पर प्रतिबंध लगाने के भारत के प्रस्ताव पर चीन के विरोध के कुछ ही दिनों बाद भारत ने यह बात कही।

    संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने कहा कि विश्व संस्था के सदस्य देशों को आतंकियों के खिलाफ प्रतिबंध को रोकने का कारण नहीं बताया गया। अलकायदा, तालिबान और आइएस प्रतिबंध समितियों की सर्वसम्मति और नाम गुप्त रखने की प्रक्रियाओं की समीक्षा की जरूरत है। इनके चलते जवाबदेही का अभाव होता है। अकबरुद्दीन सुरक्षा परिषद में आतंकवाद पर चर्चा के दौरान भाषण दे रहे थे।