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पैन कार्ड से शुरू होगी पत्नियों की पगार योजना

पत्नियों को पगार दिलाने की योजना की शुरुआत उनके पैन कार्ड और बैंक अकाउंट बनाने से होगी। इस बारे में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने अन्य मंत्रालयों से बातचीत शुरू कर चुका है। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री कृष्णा तीरथ ने कहा कि देश में गृहिणियों को पगार देने के लिए सिस्टम तैयार किया जाएगा। सबसे पहले,

By Edited By: Published: Wed, 12 Sep 2012 12:44 PM (IST)Updated: Wed, 12 Sep 2012 01:26 PM (IST)
पैन कार्ड से शुरू होगी पत्नियों की पगार योजना

नई दिल्ली। पत्नियों को पगार दिलाने की योजना की शुरुआत उनके पैन कार्ड और बैंक अकाउंट बनाने से होगी। इस बारे में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने अन्य मंत्रालयों से बातचीत शुरू कर चुका है। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री कृष्णा तीरथ ने कहा कि देश में गृहिणियों को पगार देने के लिए सिस्टम तैयार किया जाएगा। सबसे पहले, हर तबके की गृहिणियों के लिए पैन कार्ड बनवाने का काम शुरू किया जाएगा। उन्होंने बताया कि पैन कार्ड होने पर सभी महिलाओं का बैंक अकाउंट खोला जा सकेगा ताकि पति अपनी पत्नी के अकाउंट में पगार के नाम पर हर माह पैसा जमा करा सकें।

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घरेलू काम करने वाली महिलाओं का सर्वे-

योजना लागू करने के लिए केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, विश्व बैंक के साथ मिलकर गृहणियों की स्थिति पर देशव्यापी सर्वे कराने जा रहा है। आधिकारिक दस्तावेजों के अनुसार घरेलू महिलाओं को पगार दिलाने के लिए तैयार होने वाले कानून को अमलीजामा पहनाने से पहले इस बड़े सर्वे से उनकी स्थिति का सटीक अनुमान लगाया जाएगा। इसमें खास तौर से विभिन्न कार्यो के लिए घर में हर महीने दिया जाने वाला पैसा, ग्रामीण और शहरी परिवारों में महिलाओं के निजी कामों के लिए खर्च और अमीर-गरीब परिवारों में गृहणियों का स्थिति का अनुमान लगाया जाएगा।

हाउस-इंजीनियर कही जाएं गृहणिया-

पत्नियों को हर माह पगार देने के प्रस्ताव पर आ रही प्रतिक्रियाओं के बावजूद केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय अपने नए कानून को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त है। भास्कर से बातचीत में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री कृष्णा तीरथ ने बेबाकी कहा कि गृहिणियों को असल में हाउस-वाइफ नहीं, हाउस इंजीनियर कहा जाना चाहिए। पति के दफ्तर या दिहाड़ी में काम करने के मुकाबले भारतीय गृहिणिया घरेलू कामों में कहीं ज्यादा घटे बिताती हैं, जिसका कोई मूल्यांकन नहीं करता। अगर पति अपने मासिक वेतन से कुछ हिस्सा पत्नियों को देता भी है तो महिलाएं इसे खुद पर नहीं बल्कि परिवार पर ही खर्च करेंगी। यह महिलाओं के सशक्तीकरण को भी मजबूत करेगा। नए प्रस्तावित कानून को दापत्य जीवन में दरार नहीं मानना चाहिए। जो पति अपनी पत्नी को प्यार करते हैं उन्हें मासिक पगार से कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। इससे दोनों के बीच में प्यार और बढ़ेगा।

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