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    अलग सार्क बनाना पाक के लिए रहेगा ख्वाब

    By Manish NegiEdited By:
    Updated: Fri, 14 Oct 2016 02:34 AM (IST)

    भारतीय सूत्रों के मुताबिक पाकिस्तान के राजदूत की तरफ से ग्रेटर सार्क संगठन बनाने का प्रस्ताव सिर्फ कागजी है। पाकिस्तान की तरफ से इसमें चीन, ईरान, मध्य एशियाई देशों के साथ बांग्लादेश को शामिल करने का प्रस्ताव रखा गया है

    नई दिल्ली, (जागरण ब्यूरो)। दक्षिण एशिया और वैश्विक मंच से अलग-थलग पड़े पाकिस्तान ने ग्रेटर सार्क संगठन बनाने का शिगूफा छोड़ तो दिया है लेकिन जमीनी हकीकत इससे काफी भिन्न है। एक तो दक्षिण एशियाई सहयोग संगठन सार्क का कोई भी सदस्य देश पाकिस्तान के साथ नहीं है।

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    दूसरा इस हफ्ते में बिम्सटेक और ब्रिक्स देशों के बीच होने वाली बैठक के बाद पाकिस्तान को दक्षिण एशिया का अलग-थलग करने की कवायद काफी आगे बढ़ जाएगी। इस बैठक में दोनों संगठनों के बीच बड़े कारोबारी रिश्ते की नींव रखी जाएगी। साथ ही यह भी तय हो जाएगा कि दक्षिण एशिया के सबसे बड़े व्यापारिक संगठन में पाकिस्तान शामिल नहीं होगा।

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    भारतीय सूत्रों के मुताबिक पाकिस्तान के राजदूत की तरफ से ग्रेटर सार्क संगठन बनाने का प्रस्ताव सिर्फ कागजी है। पाकिस्तान की तरफ से इसमें चीन, ईरान, मध्य एशियाई देशों के साथ बांग्लादेश को शामिल करने का प्रस्ताव रखा गया है लेकिन बांग्लादेश ने इस तरह के किसी भी संगठन की संभावना को एक सिरे से खारिज कर दिया है।

    दरअसल, सार्क के सदस्य देशों में पाकिस्तान व अफगानिस्तान को छोड़ कर अन्य सभी ब्रिक्स देशों के बेहद बड़े बाजार से जोड़ने को तैयार हैं। एक तरफ उन्हें सार्क संगठन से कोई फायदा नहीं हो रहा था जबकि दूसरी तरफ उन्हें बिम्सटेक से जुड़ कर भारत और चीन के जैसे दुनिया के सबसे बड़े बाजारों से जुड़ने का मौका मिल रहा है।

    ब्रिक्स (ब्राजील, भारत, चीन, रूस और दक्षिण अफ्रीका) के राष्ट्राध्यक्षों की गोवा में 15-16 अक्टूबर को शीर्ष बैठक है। भारत के प्रस्ताव पर ब्रिक्स संगठन ने बे ऑफ बंगाल इनिसिएटिव फॉर मल्टी सेक्टर टेक्नीकल एंड इकॉनोमिक कॉपरेशन (बिम्सटेक) के सदस्य देशों (नेपाल, भारत, भूटान, श्रीलंका, बांग्लादेश, थाइलैंड, म्यंमार) की अलग बैठक बुलाई है। इस बार दोनों संगठनों के बीच किस तरह से आर्थिक संबंधों को आगे बढ़ाया जाए, इसका खाका तैयार होगा। यह ग्रेटर सार्क संगठन बना कर दक्षिण एशिया के देशों को लुभाने के पाकिस्तान के प्रस्ताव पर काफी भारी पड़ सकता है।

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