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पाक ने भारत के खिलाफ अलकायदा संग की थी सौदेबाजी की कोशिश!

अमेरिकी अभियोग पक्ष के वकील की ओर से न्यूयॉर्क फेडरल कोर्ट में पेश किए गए दस्तावेज से इस बात का खुलासा हुआ है कि पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के मुख्यमंत्री व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के भाई शाहबाज शरीफ और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आइएसआइ ने 2010 में अलकायदा के साथ

By Sudhir JhaEdited By: Published: Wed, 11 Mar 2015 12:05 PM (IST)Updated: Wed, 11 Mar 2015 01:55 PM (IST)
पाक ने भारत के खिलाफ अलकायदा संग की थी सौदेबाजी की कोशिश!

नई दिल्ली। अमेरिकी अभियोग पक्ष के वकील की ओर से न्यूयॉर्क फेडरल कोर्ट में पेश किए गए दस्तावेज से इस बात का खुलासा हुआ है कि पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के मुख्यमंत्री व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के भाई शाहबाज शरीफ और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आइएसआइ ने 2010 में अलकायदा के साथ एक खुफिया समझौता करने की कोशिश की थी।

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अमेरिकी फोर्स को एबटाबाद में अलकायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन के कमरे से मिले पत्र के मुताबिक, अलकायदा उस समय भारत के खिलाफ अपने अभियान को फैलाने की शुरुआत कर रहा था, जब पाकिस्तान के शीर्ष नेता ने उससे संपर्क किया। एक अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक यह दस्तावेज अभियोग पक्ष की ओर से पाकिस्तानी मूल के ब्रिटिश नागरिक आबिद नासीर के खिलाफ मामले की सुनवाई के दौरान पेश किया गया। नासीर को 2013 में ब्रिटेन से प्रत्यर्पित कर अमेरिका लाया गया था, उस पर टेरर सेल की अगुवाई करने का आरोप है, जिसने मैनचेस्टर और न्यूयॉर्क में बड़े बम धमाके करने की योजना बनाई थी।

दस्तावेज के मुताबिक अलकायदा और पाकिस्तान के बीच 2010 की गर्मियों में समझौता हुआ। अलकायदा के मैनेजर अतिया अब्द अलरहमान ने बिन लादेन को जून 2010 में बताया कि हाफिज के समय से ही पाकिस्तान के दुश्मन हमारे साथ और तहरीक-ए-तालिबान (हकीमुल्लाह) के साथ पत्र व्यवहार कर रहे हैं। अमेरिकी अभियोजक ने कोर्ट को बताया कि हाफिज, अल-मसरी का कोड नाम है. वही हकीमुल्लाह तहरीक-ए-तालिबान का पूर्व मुखिया है। उसका पूरा नाम हकीमुल्लाह महसूद है।

रहमान ने इसके साथ ही बिन लादेन को यह भी बताया कि पंजाब के सीएम शाहबाज शरीफ, आइएसआइ नेता शुजा, शाह और अन्य उनके साथ समझौता करना चाहते है। उसने बताया कि पाकिस्तान ने हमें सूचना दी है कि पाकिस्तान सरकार अलकायदा को पूरी छूट देने के लिए तैयार हैं।

पढ़ेंः अलकायदा का नाम बदलना चाहता था ओसामाः अमेरिका


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