पाकिस्तान ही नहीं अन्य पड़ोसी भी नकली नोट खपाने में जुटे
अधिकारी यह बात मान रहे हैं कि कुछ नकली नोट असली नोटों के बेहद करीब हैं लेकिन अधिकांश की क्वालिटी बेहद खराब किस्म की है।
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। नोटबंदी के बाद रिजर्व बैंक ने 500 व 2000 रुपये के नए नोट जारी करते हुए यह दावा किया था कि इसका नकल करना बेहद मुश्किल होगा। लेकिन पिछले दो महीनों के दौरान देश के लगभग हर कोने से जिस तरह से नकली नोटों की खेप पकड़ी जा रही है वह कुछ और कहानी बयां कर रही है। यही नहीं देश की खुफिया एजेंसियों के लिए चिंता की बात यह है कि भारत में नकली नोट खपाने के लिए सिर्फ पाकिस्तानी एजेंसी ही नहीं बल्कि दूसरे देशों की कुछ तत्व भी सक्रिय हैं। भारतीय बाजार में नोटों की कमी और आम जनता में नए नोटों को पहचानने का कम अनुभव को देखते हुए बांग्लादेश और नेपाल के कुछ तत्व भी भारत को आर्थिक नुकसान पहुंचाने की तैयारी में हैं।
दरअसल, पिछले दो महीनों के दौरान बांग्लादेश सीमा पर बड़े पैमाने पर नकली नोट पकड़े गये हैं। पहले इसके पाकिस्तान से आने का संदेह था लेकिन जांच के बाद इस बात के सबूत मिले हैं कि इन्हें बांग्लादेश में ही तैयार किया गया है। जांच एजेंसियों की इससे ज्यादा सतर्क हो गई हैं। इसके बाद ही पिछले सप्ताहांत देश के कई हिस्सों में राजस्व खुफिया महानिदेशालय (डीआरआइ) की सूचना आयात व निर्यात होने वाले कंटेनेरों की जांच की गई। डीआरआइ ने चेन्नई, मुंबई व दिल्ली के सीमा शुल्क अधिकारियों को बाहर से आने वाले किसी भी कंटेनर को पास नहीं करने का निर्देश दिया था। सूचना मिली थी कि नकली नोटों की बड़ी खेप भारत में भेजी जा सकती है।
बाजार में नए नोटों को लाने के बाद अभी तक दिल्ली, मुंबई, मालदा, जालंधर पटना से लेकर तेलंगाना तक में तीन दर्जन से ज्यादा मामले नकली नोटों के सामने आये है। इनमें से कई मामलों के तार नेपाल ब बांग्लादेश से जुड़े होने के संकेत हैं। केवल बंग्लादेश सीमा पर ही लगभग 10 करोड़ रुपये के नकली नोट पकड़े गए हैं। वैसे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आइएसआइ पहले भी इन दोनों देशों के जरिए भारत में नकली नोट भेजने का काम करता रहा है। लेकिन भारत ने इन दोनों देशों के साथ बेहतर कूटनीतिक रिश्ते कायम कर आइएसआइ की चाल पर काफी काबू पा लिया था। लेकिन बाजार में दो हजार रुपये के नए नोट आने के साथ ही इन दोनों देशों के नकली नोटों के कारोबारी फिर से सक्रिय हो गये हैं।
यह भी दीगर बात है कि पकड़े गये अधिकांश नकली नोट दो हजार रुपये के हैं। रिजर्व बैंक भी जब्त नकली नोटों के मामले का अध्ययन कर रहा है। अधिकारी यह बात मान रहे हैं कि कुछ नकली नोट असली नोटों के बेहद करीब हैं लेकिन अधिकांश की क्वालिटी बेहद खराब किस्म की है। ऐसा लगता है कि स्थानीय प्रिंटिंग व सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर इन्हें तैयार किया गया है। इन्हें आम जनता भी आसानी से पकड़ सकती है। लेकिन समस्या यह है कि जनता के बीच दो हजार के नोटों के सही होने को लेकर जागरुकता बहुत कम है।
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