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    भूमि अधिग्रहण कानून के खिलाफ एकजुट हुआ विपक्ष

    By anand rajEdited By:
    Updated: Sun, 22 Feb 2015 03:00 PM (IST)

    सोमवार से शुरू होने वाले बजट सत्र को लेकर पूरा विपक्ष एकजुट नजर आ रहा है। इस सत्र में सरकार भूमि अधिग्रहण विधेयक में सुधार को लेकर दो मुद्दों पर राजी हो गई है और इसे कानून का रूप देना चाहती है। जबकि पूरा विपक्ष सरकार के इस सुधार पर

    नई दिल्ली।सोमवार से शुरू होने वाले बजट सत्र को लेकर पूरा विपक्ष एकजुट नजर आ रहा है। इस सत्र में सरकार भूमि अधिग्रहण विधेयक में सुधार को लेकर दो मुद्दों पर राजी हो गई है और इसे कानून का रूप देना चाहती है। जबकि पूरा विपक्ष सरकार के इस सुधार पर राजी नहीं है। उनका कहना है कि ये अध्यादेश किसान विरोधी और गरीब विरोधी है।

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    भूमि अधिग्रहण विधेयक पर भाजपा नेता संबित पात्रा ने बताया कि ये एक व्यापक अध्यादेश है। इसमें ग्रामीण क्षेत्रों के लिए किसानों को चार गुणा मुआवजा देने का प्रावधान रखा गया है। उनहोंने कहा कि निश्चिच रूप से यह अध्यादेश किसानों और गरीबों का हितैषी है।

    दूसरी ओर सरकार के इस अध्यादेश पर सभी विपक्षी दल लामबंद हो गए हैं। जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव का कहना है कि कृषि हमारा सबसे बड़ा उद्योग है। अगर सरकार इसके खिलाफ कुछ भी करती है तो हम नहीं होने देंगे और संसद से लेकर सड़क तक प्रदर्शन करेंगे।

    कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद का कहना है कि ये बिल और अध्यादेश किसानों के लिए ठीक नहीं है। साथ ही उन नीचले तबको के लिए भी ठीक नहीं है जिसे हमने सहारा दिया था। वहीं 'आप' नेता आशुतोष ने भी इसे किसान विरोधी अध्यादेश बताया है। उधर इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) के सांसद दुष्यंत चौटाला ने भी इसे किसानों का विरोधी बताया है।

    बता दें कि भूमि अधिग्रहण विधेयक में जो सबसे विवादास्पद मुद्दे थे सरकार ने उस पर अपना रुख नरम किया है। अब औद्योगिक कारीडोर के लिए होने वाले भूमि अधिग्रहण में किसानों की सहमति ली जाएगी। साथ ही इस विधेयक में सामाजिक प्रभावों से जुड़े प्रावधानों में बदलाव की बात को भी सरकार ने मान लिया है। ऐसा माना जा रहा है कि कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी पार्टियों के साथ ही अन्ना हजारे के उतरने से सरकार और भाजपा के भीतर इस विधेयक में बदलाव की तैयारी कर ली गई है।

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