आसाराम मामला: आश्रम सील करने से कतरा रहे अफसर
आसाराम जेल में हैं, कानून का शिकंजा भी उन पर कस चुका है। प्रदेश सरकार का रुख भी सख्त है। इसके बावजूद पीड़ित छात्रा के शहर में स्थित आसाराम बापू का आश्रम सील नहीं हो सका है। अफसर कार्रवाई से कतरा रहे हैं। पीड़ित परिवार दहशत में है। हालात को देखते हुए छात्रा के पिता ने सोमवार को डीएम से फिर मुलाकात की और आश्रम सील करने का मुद्दा उठाया।
जागरण संवाददाता, शाहजहांपुर। आसाराम जेल में हैं, कानून का शिकंजा भी उन पर कस चुका है। प्रदेश सरकार का रुख भी सख्त है। इसके बावजूद पीड़ित छात्रा के शहर में स्थित आसाराम बापू का आश्रम सील नहीं हो सका है। अफसर कार्रवाई से कतरा रहे हैं। पीड़ित परिवार दहशत में है। हालात को देखते हुए छात्रा के पिता ने सोमवार को डीएम से फिर मुलाकात की और आश्रम सील करने का मुद्दा उठाया। तर्क दिया कि आश्रम पर आसाराम के समर्थक डटे हैं, जिनसे जान का खतरा है। मामले की गंभीरता देखते हुए डीएम ने एसडीएम और सीओ को जांच के निर्देश दिए हैं।
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आसाराम आश्रम ट्रस्ट दिल्ली की शाखा के रूप में रुद्रपुर में सात बीघा जमीन पर आश्रम का निर्माण कराया गया। आश्रम के मुख्य कर्ताधर्ता दुष्कर्म पीड़ित छात्रा के पिता थे। आसाराम बापू के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराए जाने के बाद पीड़िता के पिता को आसाराम के दत्तक पुत्र सुरेशानंद ने हटा दिया। साथ ही वहां कार्यरत सेवादार शिवनाथ गुप्ता को हटाकर गोरखपुर के सेवादार घनश्याम को बुला लिया। आश्रम में अहमदाबाद, बनारस, दिल्ली आदि जिलों से भी सेवादार आ डटे। तभी से लगातार पीड़ित के पिता ने आश्रम में चल रही गतिविधियो से जान को खतरा बताते हुए सील कराने की मांग की। शनिवार को जब तीन मंत्रियों समेत प्रदेश सरकार के आठ सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने पीड़िता के पिता से भेंट की तब भी पीड़िता के पिता ने चार सूत्रीय मांग-पत्र में आश्रम बंद कराने की मांग की। इसके बाद प्रशासन ने कार्रवाई स्वरूप छह लोगों को आश्रम से बाहर कर दिया लेकिन एक सेवादार अभी भी डटा है। डीएम राजमणि से मुलाकात में छात्रा के पिता ने बताया कि आसाराम के लोग सीडी, साहित्य व पंपलेट बांटकर उनके खिलाफ दुष्प्रचार कर लोगों को भड़का रहे हैं।
अवैध रूप से खड़ा कर दिया आश्रम!
शाहजहांपुर। आसाराम बापू को जेल जाने के बाद अब उनके ट्रस्ट गैरकानूनी कारनामे भी सामने आ रहे हैं। जिले के जिस रुद्रपुर गांव में आसाराम का आश्रम खड़ा है, वह पूरी तरह से अवैध है। जमीन खरीद से लेकर निर्माण तक में गड़बड़झाला सामने आया है। हजारों रुपये की स्टांप चोरी के अलावा कृषि योग्य जमीन पर भवन खड़ा करने का आरोप लगा है। प्रशासन पूरे मामले की जांच की तैयारी में है। जून 2010 में संत श्री आसाराम जी आश्रम दिल्ली की शाखा शाहजहांपुर के लिए तत्कालीन अध्यक्ष देवपाल ने रुद्रपुर गांव मे सात बीघा जमीन खरीदी थी। यह जमीन उधौपारा निवासी की थी। जमीन को सवा लाख रुपये प्रति बीघा की दर से खरीदा गया, लेकिन कुल जमीन की कीमत मात्र तीन लाख 54 हजार 573 दर्शाकर 24850 रुपये का स्टांप अदा करके जमीन खरीद ली गई। असल में 70 हजार से अधिक का स्टांप लगना था। निर्माण शुरू कराने से पूर्व ट्रस्ट ने भूमि को अकृषकीय घोषित कराने की कार्रवाई भी नहीं कराई। अवैध रूप से आश्रम का निर्माण करा दिया। आश्रम का नक्शा भी पास नहीं कराया गया। इस बाबत एसडीएम फाइसेंस ने कहा कि मामला संज्ञान में आया है, जिसकी जांच कराई जाएगी।
पहेली बनी कथित महिला पत्रकार
शाहजहांपुर। आसाराम बापू प्रकरण में पिछले कुछ दिनों से एक कथित महिला पत्रकार पहेली बन गई है। वह पिछले कई दिनों से शहर में डेरा डाले और बार-बार पीड़ित छात्रा से मिलने की कोशिश करती है। सोमवार को एक बार फिर उसने पीड़ित के घर में घुसने की कोशिश की। विफल होने पर इस महिला ने पीड़िता के मोहल्ले में डेरा जमा दिया। यह महिला पीड़ित छात्रा को बालिग करार देने पर सर्वाधिक फोकस कर रही है।
खुद को इंदौर के एक अखबार की पत्रकार बताने वाली यह महिला अपनी कोई पहचान नहीं दिखा सकी है। चार दिन पहले इंटरव्यू के बहाने घर में घुस गई थी। परिवार की चौकसी से मामला संभला लेकिन वह लगातार पीड़ित छात्रा से मिलने का प्रयास कर रही है। सोमवार को इस महिला ने पीड़िता के मुहल्ले के लोगो को बरगलाने की कोशिश की। उन्हें पीड़ित छात्रा को बालिग करार देने के साक्ष्य के लिए लालच भी दिया। बताते हैं मुहल्ले के लोगों ने कथित महिला पत्रकार को खरी खोटी भी सुनाई। महिला की गतिविधियों को पीड़िता के पिता ने खुद के खिलाफ साजिश मानते हुए इसकी शिकायत सीओ सिटी से की। पुलिस ने महिला पत्रकार की जांच शुरू कर दी है।
छवि बचाने को पम्पलेट के सहारे आसाराम
गोंडा, जागरण संवाददाता। नाबालिग से यौन उत्पीड़न के मामले में फंसे आसाराम की छवि को बचाने के लिए उनके समर्थक पम्पलेट पर उतर आए हैं। सोमवार को जिले में हजारों पम्पलेट बांट बापू को विदेशी कंपनियों के षडयंत्र का शिकार बताया गया। आसाराम पर लगे आरोपों को निराधार बता सरकार और मीडिया पर भी ठीकरा फोड़ा गया। यही नहीं, आसाराम का महिमा मंडन करने के लिए विश्व हिंदू परिषद के मुख्य संरक्षक अशोक सिंघल, बाबा रामदेव तथा उमा भारती समेत कई बड़े नामों का भी इस्तेमाल किया गया है।
पम्पलेट में दावा किया गया है कि देश विदेश में आसाराम के साढ़े सात करोड़ दीक्षित साधक हैं। इनमें से दो करोड़ से अधिक साधकों ने दीक्षा लेने के बाद शराब, सिगरेट, गुटखा तथा कोल्ड ड्रिंक आदि लेना छोड़ दिया है। इससे विदेशी कंपनियों को प्रति वर्ष करीब एक अरब 46 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। ऐसे में इन कंपनियों ने साजिश कर बापू को फंसाया है। सरकार और मीडिया उन्हें बदनाम कर रही है। पंपलेट में आसाराम के खिलाफ दर्ज मामले पर भी सवाल उठाए गए हैं। कहा गया है कि घटना जोधपुर की बताई जा रही है, लड़की शाहजहांपुर की है और मामला दिल्ली में दर्ज किया गया है। पम्पलेट पर नियमानुसार जो जानकारियां होनी चाहिए, वे भी नहीं है। मसलन, पर्चा किसकी तरफ से वितरित किया जा रहा है, उसका प्रकाशन कहां से हुआ। मामले में सिटी मजिस्ट्रेट गोंडा आनंद स्वरुप के अनुसार मुझे मामले की जानकारी नहीं है। यदि कोई पम्पलेट बांटा गया है तो इसकी जांच कराई जाएगी।
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