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    रक्षा के मोर्चे पर भी 'मेक इन इंडिया' को बढ़ावा देने की कोशिश

    By Atul GuptaEdited By:
    Updated: Tue, 11 Oct 2016 06:35 PM (IST)

    रक्षा क्षेत्र में मेक इन इंडिया पहल को अमल में लाने के लिए निजी और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों द्वारा करीब डेढ़ लाख करोड़ रुपये खर्च करने की योजना है।

    मुंबई, जेएनएन। रक्षा के मोर्चे पर नीति निर्धारण के बाद अब नरेंद्र मोदी सरकार अमल की ओर कदम बढ़ाती दिख रही है। रक्षामंत्री मनोहर पर्रीकर की उपस्थिति में नवी मुंबई के सिडको प्रदर्शनी मैदान में बुधवार को शुरू हो रहे सम्मेलन में यह स्पष्ट रूप से दिखेगा।

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    रक्षा क्षेत्र में मेक इन इंडिया पहल को अमल में लाने के लिए निजी और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों द्वारा करीब डेढ़ लाख करोड़ रुपये खर्च करने की योजना है। अब इस पर आगे बढ़ने की जरूरत है। इसे ध्यान में रखते हुए 'इमर्जिंग मैटीरियल फॉर डिफेंस एंड इंफ्रास्ट्रक्चर' विषय पर आयोजित इस सम्मेलन में देशी-विदेशी करीब 300 कंपनियां हिस्सा ले रही हैं। इसमें निजी क्षेत्र की भारत फोर्ज जैसी स्वदेशी कंपनी पहली बार 45 फीट लंबे बैरल का प्रदर्शन करने जा रही है।

    इस प्रकार की बैरल का उपयोग लंबी दूरी तक मार करनेवाले हथियारों में किया जा सकता है। इसी प्रकार भारत के लिए तेजस जैसा युद्धक विमान बना रही सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लि. कार्बन फोन से बनी एक ऐसी बैटरी का प्रदर्शन करने जा रही है, जिसका उपयोग सियाचिन से लेकर जैसलमेर तक के वातावरण में लंबे समय तक किया जा सकता है।

    सम्मेलन की आयोजक एएसएम इंटरनेशनल, इंडिया काउंसिल के संयुक्त सचिव डॉ. अशोक तिवारी बताते हैं कि जेएसडब्ल्यू, महिंद्रा एंड महिंद्रा, रिलायंस इंडस्ट्रीज, आदित्य बिड़ला समूह जैसी करीब 300 भारतीय कंपनियां और चीन सहित लगभग 20 देशों की विदेशी कंपनियां इसमें हिस्सा ले रही हैं। काउंसिल ऑफ साइंटिफ एंड इंडस्टि्रयल रिसर्च (सीएसआइआर) के पूर्व महानिदेशक और अब ग्लोबल रिसर्च एलायंस के चेयरमैन आरए माशेलकर सम्मेलन के मुख्य वक्ता होंगे। डॉ. तिवारी के मुताबिक, रक्षा उत्पादन क्षेत्र में भारत अभी तक पूरी तरह आत्मनिर्भर नहीं था। लेकिन 2030 तक निजी और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के सम्मिलित सहयोग से यह लक्ष्य पूरा करने का मन सरकार बना चुकी है।

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