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    संदिग्ध आइएस सदस्य को बरी करने को एनआइए ने दी चुनौती

    By Test1 Test1Edited By:
    Updated: Thu, 13 Apr 2017 11:11 PM (IST)

    राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) ने इस्लामिक स्टेट से जुड़े संदिग्ध आतंकी को रिहा किए जाने को बांबे हाईकोर्ट में चुनौती दी है। निचली अदालत ने अरीब मजीद नामक आतंकी को रिहा कर दिया था।

    संदिग्ध आइएस सदस्य को बरी करने को एनआइए ने दी चुनौती

     मुंबई, प्रेट्र : इस्लामिक स्टेट (आइएस) के संदिग्ध आतंकी अरीब मजीद को आतंकी संगठन का सदस्य होने के अपराध से निचली अदालत से मुक्त किए जाने के आदेश को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) ने बांबे हाई कोर्ट में चुनौती दी है। विशेष एनआइए अदालत ने उसे तकनीकी आधार पर उक्त आरोप से मुक्त कर दिया था।

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    जस्टिस वीके ताहिलरमानी और जस्टिस एमएस कार्निक की खंडपीठ ने एनआइए की अपील पर सुनवाई की तारीख छह जून तय की है, लेकिन, पीठ ने इस मामले की विशेष एनआइए अदालत में चल रही कार्यवाही पर रोक लगाने से इन्कार कर दिया। विशेष एनआइए अदालत ने फरवरी में मजीद को गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम की धारा 20 का उल्लंघन कर किसी आतंकी संगठन का सदस्य होने के आरोप से मुक्त कर दिया था। अदालत का कहना था कि मजीद जब आइएस में शामिल हुआ था तो इस संगठन को भारतीय कानून के तहत आतंकी संगठन घोषित नहीं किया गया था।

    एनआइए के मुताबिक, मजीद और कल्याण के रहने वाले तीन अन्य व्यक्ति धार्मिक यात्रा के बहाने कथित तौर पर आइएस में शामिल होने के लिए मई 2014 में देश छोड़कर चले गए थे। नवंबर 2014 में भारत लौटने पर मजीद को गिरफ्तार कर लिया गया था। एनआइए ने हाई कोर्ट में दायर अपील में कहा है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने 2014 में आइएस पर प्रतिबंध लगा दिया था, लिहाजा इसे मानना भारत समेत संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्यों के लिए बाध्यकारी है। लिहाजा, गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम की धारा 20 से मजीद को मुक्त किया जाना पूरी तरह गलत है।

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